समापन समारोह सदियों पुरानी उन दिनों की सैन्य परंपरा है, जब सूर्यास्त होने पर सेना युद्ध बंद कर देती थी। जैसे ही बिगुल वादक समापन की धुन बजाते थे सैनिक युद्ध बंद कर देते थे और अपने शस्त्रास्त्र समेटकर युद्धस्थल से लौट पड़ते थे। यही कारण है कि समापन धुन बजने के दौरान अविचल खड़े रहने की परंपरा आज तक कायम है।
समापन पर ध्वज और पताकाएं खोलकर रख दी जाती हैं और झंडे उतार दिए जाते हैं। ड्रम वादन उन दिनों की यादगार है, जब कस्बों और शहरों में तैनात सैनिकों को सायंकाल एक निर्धारित समय पर उनके सैन्य शिविरों में बुला लिया जाता था।(वार्ता)