अशांति का टापू बना खूबसूरत लक्षद्वीप, जानिए स्थानीय निवासी की जुबानी...

बुधवार, 9 जून 2021 (19:58 IST)
-नेल्विन विल्सन, लक्षद्वीप से
अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए मशहूर लक्षद्वीप इन दिनों अशांति का टापू बना हुआ है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां लोग अपने ‍अस्तित्व और आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं। दरअसल, द्वीप पर दिक्कतों की शुरुआत नए प्रशासन की नियुक्ति के बाद से शुरू हुई। 
 
स्थानीय निवासी अबू सलीह ने वेबदुनिया मलयालम से खास बातचीत में इस बात को लेकर असंतोष व्यक्त किया कि अमानवीय कृत्यों पर केन्द्र सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। दरअसल, यहां के लोगों को नए प्रशासन प्रफुल खोड़ा पटेल से आपत्ति है। पुराने प्रशासन के निधन के बाद प्रफुल को लक्षद्वीप की जिम्मेदारी दी गई है। लोगों का मानना है कि नए प्रशासन की नियुक्ति के साथ यहां दिक्कतों का दौर शुरू हुआ।
अबू ने कहा नए प्रशासक को भाजपा के खिलाफ और राष्ट्रीय नागरिकता कानून के विरोध में लगाए गए पोस्टर पसंद नहीं आए। हर जगह सिर्फ मोदी और बीजेपी समर्थक पोस्टर हैं, बाकी को हटाया जा रहा है। पटेल के आने से एक के बाद एक कई परिवर्तन होने लगे। सड़क की चौड़ाई बढ़ाई गई। अन्य परिवर्तन भी किए गए। इनमें से किसी भी निर्णय पर यहां लोगों से चर्चा नहीं की गई। केंद्र से लाए गए ड्राफ्ट यहां लागू किए जा रहे हैं।
सलीह का कहना है कि कोरोना के दौरान जहां हर कोई डरा हुआ था, वहीं प्रशासन पर्यटन से जुड़े बदलावों को लागू करने में लगा हुआ है। सब एक सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि हम पर्यटन के खिलाफ नहीं हैं, पहले भी तो यहां पर्यटक आते थे। लेकिन हम उस पर्यटन से असहमत हैं, जिसने इस जगह की संस्कृति को नष्ट कर दिया है और लोगों का जीवन दयनीय बना दिया है।
 
अबू ने कहा कि हमारी मांग है कि वे हमारी निजता पर आक्रमण न करें और आबादी वाले क्षेत्रों में पर्यटन के लिए परियोजनाएं न लाएं। पर्यटन के लिए निर्जन क्षेत्रों का पहले से ही उपयोग किया जा रहा है। हम इससे असहमत नहीं हैं। 
वे यहां व्यापार के पूर्ण अवसरों के लिए लक्ष्य बना रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में मछुआरों द्वारा बसाए गए कई तटीय क्षेत्रों को खाली करा दिया गया है। नए संशोधन का उद्देश्य प्रशासक द्वारा अन्य आवासों को भी खाली कराना है। यहां के गरीब लोगों के घरों को गिराना होगा। ऐसा नहीं करने पर भारी-भरकम जुर्माना भरना पड़ेगा। बिजली समेत हर चीज का निजीकरण किया जा रहा है। 
 
मछली पकड़ने वाले श्रमिकों के नाव शेड आदि सब ध्वस्त कर दिए गए हैं। नावें क्षतिग्रस्त हो गईं। खासतौर पर मछुआरे संकट में हैं। लोगों की रोजी-रोटी गायब सी हो रही है। वे राष्ट्रीय नागरिकता संशोधन का विरोध करने वालों को देशद्रोही के रूप में देखते हैं। वे केरल और लक्षद्वीप के बीच संबंधों से डरते हैं। इसलिए, केरल के साथ द्वीप के संबंधों को खत्म करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। अबू सलीह ने कहा- स्कूलों में सप्ताह में एक दिन मीट दिया जाता था। यह भी प्रतिबंधित कर दिया गया था। चिकन और उससे मिलता-जुलता मांस अभी भी उपलब्ध हैं।

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