कुछ इतिहासकार बताते हैं कि यहां दो दिनों तक होलिका दहन उत्सव मनाया जाता था। पाकिस्तान में मौजूद इस पंजाब प्रांत में होली, होलिका दहन से 9 दिनों तक मनाई जाती है। रंगों भरी होली तो यहां मनती ही है, लेकिन होली मनाने का परंपरा यहां कुछ हटकर है।
पश्चिमी पंजाब और पूर्वी पंजाब में होली के दिन, मटकी फोड़ी जाती है। भारत की तरह यहां भी मटकी को ऊंचाई पर लटकाते हैं। यहां मौजूद व्यक्ति पिरामिड बनाकर मटकी फोड़ते हैं। मटकी में मक्खन, मिश्री भरा हुआ होता है, मटकी फोड़ते ही यह सब कुछ बिखर जाता है।
यहां इसे चौक-पूर्णा त्यौहार के नाम से जाना जाता है। वैसे इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहीं नरसिंह भगवान ने एक खंबे से निकल कर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप को मारा था। इसके पश्चात प्रह्लाद ने स्वंय ही इस मंदिर का निर्माण करवाया था। यह भी माना जाता है कि होली का त्यौहार और होलिका दहन की प्रथा भी यही से आरंभ हुई थी।