श्रीनगर। दिसंबर 2013 में आए चुनाव नतीजों में कश्मीर में सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में सामने आने वाले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पर दिल्ली के चुनाव परिणामों के बाद यह दबाव बढ़ने लगा है कि वह आप के रास्ते पर चलते हुए राज्य में पुनः चुनाव की मांग करे और आंधी की तरह छा जाए। हालांकि पीडीपी के भीतरी सूत्र ऐसा संभव नहीं मानते जिनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक समीकरण दिल्ली से पूरी तरह से अलग हैं।
अब जबकि दिल्ली में भाजपा का सूपड़ा पूरी तरह से साफ हो गया है, राज्य में भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार पर किसी और ने ही नहीं, बल्कि पीडीपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। एक पीडीपी नेता के बकौल, दिल्ली में हारने वाली भाजपा अब किसी भी शर्त को मानने को तैयार होगी, पर वह सरकार चलाने में अड़ंगा जरूर डालती रहेगी।