गुजरात में विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार नए चेहरों पर ज्यादा भरोसा जताया है, जबकि तीन दर्जन से ज्यादा सिटिंग विधायकों के या तो टिकट काट दिए या फिर उन्हें जबरन घर बैठा दिया गया। इनमें कई पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। भाजपा की इस रणनीति को एंटी इनकंबेंसी से तो जोड़कर देखा ही जा रहा है, बल्कि आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भी सीधा मैसेज है कि उम्रदराज और अक्षम लोगों को किसी भी सूरत में टिकट नहीं दिया जाएगा। या फिर जो लोग 'हाईकमान' की गुड लिस्ट में शामिल नहीं हैं उन पर भी गाज गिर सकती है।
दूसरे राज्यों में भी बढ़ा भाजपा नेताओं का टेंशन : गुजरात में पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, विधानसभा अध्यक्ष डॉ निमाबेन आचार्य, पूर्व गृहमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा, पूर्व वित्त मंत्री सौरभ पटेल, पूर्व शिक्षामंत्री भूपेन्द्र सिंह चूडासमा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आरसी फालदू के साथ ही 5 वर्तमान मंत्रियों के टिकट भी काट दिए गए। जडेजा तो मुख्यमंत्री पद के भी दावेदार रह चुके हैं। गुजरात भाजपा के इस प्रयोग ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के कई दिग्गज नेताओं की टेंशन बढ़ा दी है, जहां 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
गुजरात की तरह मध्यप्रदेश भी देश में भाजपा के गढ़ के रूप में पहचाना जाता है और पार्टी राज्य में लगभग दो दशक से सत्ता में है। शिवराज कैबिनेट में शामिल कई मंत्री जो कि लंबे समय से एक ही विधानसभा सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं, उनकी भी अब गुजरात फॉर्मूले के बाद टेंशन बढ़ गई है। पिछले चुनाव में हारे हुए बड़े चेहरों को तो टिकट मिलना मुश्किल है ही, कई वर्तमान मंत्री भी गुजरात फॉर्मूले की चपेट में आ सकते हैं।
2024 के लिए भी दिए संकेत : कई ऐसे नेता जो अपने बेटे-बेटियों को टिकट दिलवाना चाहते हैं, उनकी भी चिंता बढ़ गई है। इनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय, ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक, नरोत्तम मिश्रा के पुत्र सुकर्ण, कमल पटेल के पुत्र सुदीप, गौरीशंकर बिसेन की पुत्री मौसम समेत कई दावेदार शामिल हैं, जो टिकट के लिए आस लगाए बैठे हैं। गुजरात का यह प्रयोग यदि सफल रहता है तो कोई आश्चर्य नहीं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इस समय फ्रंट में दिखाई दे रहे कई चेहरों को नैपथ्य में धकेल दिया जाए।
हिमालय क्षेत्र में खतरे की घंटी : नेपाल में पिछले दिनों आए भूकंप के बाद भारत के हिमालयी क्षेत्र में भी खतरे की घंटे सुनाई देने लगी है। हिमालय क्षेत्र का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले समय में इस इलाके में बड़ा और विनाशकारी भूकंप आ सकता है। इसकी तीव्रता 7 या उससे ज्यादा हो सकती है। वैसे भी इस इलाके में गत 150 सालों में 4 बड़े भूकंप आ चुके हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हिमालय क्षेत्र में भूकंप का खतरा मंडरा रहा है, जो बड़े इलाके पर असर डाल सकता है।
आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसरों ने भी भविष्य में बड़ा भूकंप आने की आशंका जताई है। उनका कहना है कि धरती के नीचे भारतीय प्लेट व यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव बढ़ रहा है। यूरेशियन प्लेट के नीचे लगातार बड़े पैमाने पर ऊर्जा जमा हो रही है। यही ऊर्जा समय-समय पर भूकंप के रूप में बाहर निकलती रहती है।
हालांकि विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यह भूकंप कब आएगा कुछ भी नहीं कहा जा सकता, लेकिन आएगा जरूर। अत: उन्होंने समय रहते सुरक्षित स्थानों को चिन्हित करने की सलाह दी है। ताकि आपदा से होने वाले नुकसान को या तो टाला जा सके या फिर उसे कम किया जा सके। वैज्ञानिक जापान से सीख लेने की सलाह भी देते हैं, जहां बेहतर तैयारियों के कारण लगातार मध्यम तीव्रता के भूकंप की चपेट में आने के बावजूद जान-माल का ज्यादा नुकसान नहीं होता है। निश्चित ही चेतावनी काफी गंभीर है, लेकिन केन्द्र और सरकारें इस चेतावनी को किस तरह लेती है, इस पर काफी कुछ निर्भर होगा।
T20 विश्वकप से टीम इंडिया बाहर : T20 विश्व कप में एडिलेड में खेले गए मैच में भारत इंग्लैंड से 10 विकेटों से हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गया। भारत की शर्मनाक हार पर टीम इंडिया के फैंस और एक्सपर्टस का गुस्सा आउट ऑफ फॉर्म चल रहे बल्लेबाजों और स्पिनरों पर फूटा।
कप्तान रोहित शर्मा, केएल राहुल, अक्षर पटेल, दिनेश कार्तिक और रविचंद्रन अश्विन के लिए यह टूर्नामेंट एक बुरे सपने जैसा रहा।
पूरे टूर्नामेंट को अगर देखें तो भारतीय टीम सिर्फ पाकिस्तान जैसी समकक्ष टीम के खिलाफ जीत दर्ज कर पाई वह भी विराट कोहली की करिश्माई पारी की बदौलत। टीम इंडिया को दक्षिण अफ्रीका से भी 5 विकेटों से हार मिली। भारत सिर्फ जिंबाब्वे नीदरलैंड और बांग्लादेश पर जीत अर्जित कर पाया।
-खबर संक्षेप
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