Delhi Violence : बीते 2 माह से जल रही है दिल्ली, गोली मारने के बयान के बाद चली गोलियां...

Webdunia
गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020 (16:01 IST)
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली को 'देश का दिल' कहा जाता है और जब भी यह छलनी हुआ, इसका असर पूरे हिंदुस्तान पर पड़ा। इस वक्त देश का दिल उन्मादी लोगों द्वारा फैलाई हिंसा की आग में जल रहा है। देखा जाए तो यह जलन बीते 2 माह से महसूस की जा रही है। अब हालात इतने बेकाबू हो गए हैं कि इन दंगों ने 1984 में हुए सिख दंगों की दर्दनाक यादों को फिर से ताजा कर दिया है।

ALSO READ: Delhi Violence : आप पार्षद ताहिर हुसैन के घर की छत पर पत्थर-पेट्रोल बम, कपिल मिश्रा ने ट्‍वीट किया नया वीडियो
 
राजधानी के कुछ इलाकों में सड़कों पर ठीक वही मंजर दिखाई दिया, जिसे 1984 के सिख दंगों में पूरा देश देख चुका है। सड़कों पर हिंसा के नशे में चूर भीड़ बिना सोचे-समझे निर्दोष लोगों को निशाना बना रही है। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने के बाद से दिल्ली में प्रदर्शन हो रहे हैं। शाहीन बाग में करीब 3 महीने से प्रदर्शनकारी धरने पर बैठे हैं, लेकिन फिर अचानक क्या हुआ कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन ने हिंसा का रूप ले लिया?

CAA पर हुए विरोध ने सांप्रदायिक रूप कैसे ले लिया? क्या गोली मारने वाले बयान के बाद फिजा में जहर घुला? क्या अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण का रिएक्शन अब सामने आ रहा है? केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने दिल्ली की चुनावी रैली में देश के गद्दारों को गोली मारने जैसा बयान दिया था। तब मंच पर गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे।

ALSO READ: Delhi Violence : मानवता हुई शर्मसार... दिल्ली में नमाज पढ़ते दिव्यांग व्यक्ति को भीड़ ने किया घायल
 
बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा था कि कमल का बटन दबाने पर ही ये गद्दार मरेंगे। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार नहीं बना सकी और बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। चुनावी रैलियों में भड़काऊ भाषणों का ही असर था कि इसके बाद सड़कों पर पिस्तौल लहराते युवा नजर आए।

ALSO READ: मैं दिल्‍ली हूं… मेरे ‘दिल के घाव’ को कभी ‘दिल्‍ली’ बनकर महसूस कीजिए
 
जामिया‍ मिलिया, जेएनयू में तोड़फोड़ और प्रदर्शन हुए। नेताओं के इन 'बयानों' ने शांतिपूर्ण चल रहे प्रदर्शनों में पेट्रोल का काम किया। ये चिंगारी हिंसा की आग बन गई और निर्दोष लोग इसकी चपेट में आ गए। सवाल यह भी है कि आखिर क्या कारण है कि चुनाव आयोग की सख्ती के बाद भी वोट के लालच में नेता जहर फैलाते बयानों को बंद नहीं करते? 

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख