ललित ने रजिस्टर में अपने पिता के हवाले से 9 जुलाई 2015 को लिखा था कि आप क्रिया की गति में सुधार बढ़ाओ, आप भटक रहे हो। सभी एक छत के नीचे मेलमिलाप कर इसे सुधारो। अभी कुछ आत्माएं मेरे साथ भटक रही हैं। क्रिया में सुधार करोगे तो गति बढ़ेगी।
मैं इस चीज के लिए भटक रहा हूं, ऐसे ही सज्जन सिंह, हीरा, दयानंद, कर्मचंद, राहुल, गंगा और जमुना देवी मेरे सहयोगी बने हुए हैं। ये भी यही चाहते हैं कि तुम सब सही कर्म कर जीवन सफल बनाओ। जब हमारे काम पूरे हो जाएंगे तो हम लौट जाएंगे।