आव्हाड ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किए गए एक वीडियो में कहा कि बिहार ने आगे की ओर एक साहसिक कदम उठाया है। उसने जाति आधारित गणना करने का फैसला किया और इससे क्या सच्चाई सामने आई? इससे पता चला कि जनसंख्या का करीब 61 प्रतिशत हिस्सा ओबीसी का है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी मिलकर आबादी का 85 प्रतिशत हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार में जो सच सामने आया है, वह पूरे भारत का सच है, इसलिए हम मांग करते हैं... हमने हमेशा मांग की है कि जनसंख्या के जाति-वार सटीक आंकड़े सामने लाए जाएं। आज ओबीसी से सब कुछ छीना जा रहा है।
बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए, जिसके अनुसार राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है।
बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें ईबीसी (36 प्रतिशत) सबसे बड़े सामाजिक वर्ग के रूप में उभरा है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है।