चुनावों के बीच में बजट पेश किए जाने को आचार संहिता का उल्लंघन बताने वाली याचिका एक अधिवक्ता एमएल शर्मा की ओर से दायर की गई थी जिसमें उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह केन्द्र को यह ओदश दें कि बजट एक फरवरी की बजाए पहली अप्रैल को पेश किया जाए क्योंकि बजट से चुनाव वाले राज्यों में मतदाताओं की सोच प्रभावित हो सकती है।
याचिका में यह मांग भी की गई थी कि बजट में केन्द्र सरकार को किसी लुभावनी योजना की घोषणा करने से तब तक रोका जाए जब तक पांचों राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न नहीं हो जाते। चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में विभिन्न चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव तिथियों की घोषणा चार जनवरी को की थी। उधर केन्द्र सरकार ने वर्ष 2017-18 के लिए एक फरवरी को आम बजट पेश करने की तैयारी पहले से ही कर रखी है। (वार्ता)