सरकार ने पेंशन से जुड़ा 50 साल पुराना कानून 16 जून से बदल दिया है। दरअसल, 1972 में आए कानून के बाद पेंशनर की हत्या के मामले बढ़ने लगे थे। लोग पेंशन के लिए पति, मां या बच्चों की हत्या कर रहे थे। इन मामलों के चलते सरकार ने सरकार ने पारिवारिक पेंशन को कानूनी फैसला होने तक के लिए निलंबित कर दिया था। इससे पात्र सदस्य को पेंशन मिलने में काफी देरी होती थी।
इस कानून के मुताबिक अगर किसी आरोपी का गुनाह सिद्द नहीं होता या उसकी सजा पूरी हो जाती थी तो पेंशन फिर से शुरू कर दी जाती थी। आरोपी के दोषी होने की स्थिति में पेंशन परिवार के अगले पात्र सदस्य के नाम कर दी जाती थी। अब चूंकि केन्द्र सरकार ने नियम बदल दिया है, अत: अब इस मामले में देर नहीं होगी।