modi vs mamata : एक्सपर्ट बोले- केंद्र ने भले बंगाल के चीफ सेक्रेटरी को दिल्ली बुला लिया हो, लेकिन ममता भेजने से कर सकती हैं इंकार

Webdunia
रविवार, 30 मई 2021 (21:07 IST)
कोलकाता। केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार में सोमवार को फिर टकराव के हालात बन सकते हैं। केंद्र सरकार ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी अलापन बंद्योपाध्याय को 31 मई की सुबह 10 बजे तक दिल्ली रिपोर्ट करने के लिए कहा है। वे चक्रवात यास के रिव्यू के लिए शुक्रवार को बुलाई गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में देरी से पहुंचे थे। इसके बाद उन्हें दिल्ली बुलाने के आदेश जारी हो गए।
ALSO READ: Coronavirus : खत्म होगी वैक्सीन की किल्लत, देश को मिलेंगे 10 करोड़ डोज
पूर्व शीर्ष नौकरशाहों और लॉ एक्सपर्ट्‍स का मानना है कि केंद्र सरकार के लिए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को सेवानिवृत्त होने के दिन दिल्ली बुलाने के अपने आदेश का अनुपालन कराना मुश्किल हो सकता है क्योंकि राज्य सरकार अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उन्हें कार्यमुक्त करने से इंकार कर सकती है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र ने बंद्योपाध्याय को दिल्ली बुलाने का आदेश चक्रवाती तूफान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बैठक को मुख्यमंत्री द्वारा सिर्फ 15 मिनट में निपटाने से उत्पन्न विवाद के कुछ घंटों के बाद दिया। इससे कुछ दिन पहले राज्य में कोविड-19 महामारी से निपटने में मदद के लिए बंद्योपाध्याय का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ाने का केंद्रीय आदेश जारी किया गया था।

भारत सरकार के पूर्व सचिव जवाहर सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ऐसे तबादलों को नियंत्रित करने वाले अखिल भारतीय सेवा नियमावली को रेखांकित कर विनम्रता से जवाब दे सकती है। उन्होंने कहा कि केंद्र के लिए एकतरफा तरीके से आईएएस या आईपीएस अधिकारी का तबादला करना मुश्किल है, जो उसके नियंत्रण में नहीं है बल्कि संघ के भीतर दूसरे सरकार के अधीन है।
ALSO READ: चीन पर निशाना! सेना प्रमुख बोले- कुछ देशों ने 'निराधार भय' बढ़ाने के लिए QUAD को सैन्य गठबंधन के तौर पर प्रस्तुत किया
अखिल भारतीय सेवा के अधिकरियों की प्रतिनियुक्ति के नियम 6 (1) के तहत किसी राज्य के काडर के अधिकारी की प्रतिनियुक्ति केंद्र या अन्य राज्य या सार्वजनिक उपक्रम में संबंधित राज्य की सहमति से की जा सकती है। भारतीय प्रशासनिक सेना (काडर) नियम-1954 के तहत,‘कोई असहमति होने पर मामले पर निर्णय केंद्र सरकार और राज्य सरकार कर सकती है या संबंधित राज्य सरकार केंद्र सरकार के फैसले को प्रभावी कर सकती है।

जवाहर सरकार ने कहा, हालांकि, समस्या केंद्र सरकार के लिए यह है कि उसने न तो पश्चिम बंगाल सरकार की और न ही बंद्योपाध्याय की सहमति ली जो ऐसे तबादलों में आवश्यक मानी जाती है। जवाहर सरकार ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण या उच्च न्यायालय के जरिए कानूनी रास्ता भी अपना सकती है।

हालांकि माना जा रहा है कि केंद्र ने दोनों मंचों पर कैविएट दाखिल किया है। यह वह तरीका है जिसमें सामान्य समझ महत्व रखता है। वरिष्ठ अधिवक्ता अरुणाभ घोष ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री तत्काल अधिकारी को कार्यमुक्त नहीं करने का फैसला करती हैं तो कानूनी जटिलताएं पैदा हो जाएंगी। घोष ने कहा कि मुख्य सचिव सीधे मुख्यमंत्री के नियंत्रण में है। (इनपुट भाषा)

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख