भारतीय राजनीति में एक और 'चायवाला'

मंगलवार, 30 सितम्बर 2014 (12:14 IST)
नई दिल्ली। जेल जाने के बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने अपने सबसे विश्वासपात्र ओ. पन्नीरसेल्वम को मुख्‍यमंत्री पद सौंप दिया। पन्नीरसेल्वम की छवि काफी हद तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलती है। दोनों ही सामान्य पृष्ठभूमि से आकर राजनीति में सफलता हासिल करने वाले व्यक्ति हैं। 
 
जिस तरह से प्रधानमंत्री गुजरात के एक रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर चाय बेचा करते थे, ठीक उसी तरह से पन्नीरसेल्वम भी चाय की एक दुकान चलाते थे।
 
एक किसान परिवार में जन्म लेने वाले पन्नीरसेल्वम की चाय की दुकान अब एक रिश्तेदार चलाते हैं जबकि वे राज्य के मुख्यमंत्री हैं। जयललिता के 'मिस्टर डिपेंडेबल' को राज्य की राजनीति में ओपीएस के नाम से जाना जाता है। 63 वर्षीय पन्नीरसेल्वम बोडिनायकन्नूर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
 
मूल रूप से थेनी जिले के ओपीएस का परिवार खेती से जुड़ा हुआ है। आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी। विदित हो कि वर्ष 2001 में जब जयललिता को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी तब भी पन्नीरसेल्वम ही उनके काम आए थे और वे करीब एक वर्ष तक राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर रहे भी थे। पिछले शनिवार को बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने मुख्यमंत्री जयललिता को आय से अधिक संपत्ति रखने का दोषी पाया था। अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में उनको चार वर्ष की सजा और एक सौ करोड़ का जुर्माना लगाया। 
 
ऐसे में जयललिता को परखे हुए संकटमोचक की जरूरत थी और इस मामले में पन्नीरसेल्वम से बेहतर कोई नहीं था। जया ने अपना ताज उन्हें सौंप दिया है और उन्हें भरोसा है कि उनकी सरकार को कहीं से कोई खतरा नहीं है, लेकिन उनका मामला कितने समय में पूरी तरह निपटता है, यह देखने वाली बात है।
 
जयललिता को आय से अधिक सम्पत्ति रखने के मामले में सजा सुनाई गई है क्योंकि जब उन्होंने पहली बार मुख्यमंत्री का पद संभाला था तब उनके पास मात्र तीन करोड़ की सम्पत्ति थी, लेकिन यह पांच साल में बढ़कर 66 करोड़ रुपए हो गई। इसी बात को लेकर 18 वर्ष पहले तत्कालीन जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर की थी, जिसका फैसला अब जाकर हुआ। 
 

वेबदुनिया पर पढ़ें