सिख दंगों के आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती, HC ने कहा बहुत देर हो गई, अब इजाजत नहीं

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024 (18:03 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने 1984 के सिख दंगों (Sikh riots) के एक मामले में 27 साल से अधिक की देरी के बाद 3 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने की सरकार को अनुमति देने से इंकार कर दिया है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने 21 अक्टूबर को कहा कि उसे जान-माल के बड़े पैमाने पर हुए नुकसान के बारे में जानकारी है, लेकिन वह अभियोजन पक्ष द्वारा अपील दायर करने में किए गए लंबे विलंब की अनदेखी नहीं कर सकती।ALSO READ: उच्च न्यायालयों में 62 हजार केस लंबित, 30 साल से ज्‍यादा पुराने हैं मामले
 
अभियोजन पक्ष ने अपील की अनुमति मांगते हुए अदालत से आग्रह किया कि हत्या और दंगा मामले में 29 जुलाई, 1995 को सुनाए गए निचली अदालत के बरी करने के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में 10,165 दिन की देरी की अनदेखी करे।ALSO READ: 44 साल बाद बिजली उपभोक्ता को मिला न्याय, तीसरी पीढ़ी के पक्ष में आया न्यायालय का फैसला
 
याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि इतने लंबे विलंब और इसी तरह के मामलों में समन्वय पीठ के फैसलों को देखते हुए जिन्हें उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा है, विलंब की अनदेखी नहीं की जा सकती। इसलिए (अपील करने की) अनुमति नहीं दी जा सकती है।
 
दूसरी ओर अभियोजन पक्ष ने कहा था कि हिंसा से संबंधित मामलों की जांच के लिए दिसंबर 2018 में न्यायमूर्ति एस.एन. ढींगरा समिति का गठन किया गया था और अप्रैल 2019 में इसकी रिपोर्ट आने के बाद आंतरिक समीक्षा की गई तथा अपील दायर करने के लिए मामलों पर कार्यवाही की गई।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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