आसपास के गांवों के लोगों को भी दरगाह तक पहुंचने की मनाही कर दी गई थी क्योंकि बीएसएफ तथा स्थानीय प्रशासन ने मेले को रद्द करते हुए दरगाह पर आने वालों को चेताया था कि वे उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं करवा सकते हैं तथा कोरोना के कारण सामाजिक दूरी बनाए रखना मुश्किल काम है। ऐसे में चमलियाल दरगाह जो दोनों देशों के लोगों की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है, पर आज बैरौनकी छाई रही।
आज के दिन जहां इस दरगाह पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहता था वहां इक्का-दुक्का स्थानीय श्रद्धालु ही पहुंचे। कारण था कोरोना महामारी का प्रकोप। कोरोना संकट के चलते प्रशासन ने दरगाह पर मेले के आयोजन की इजाजत नहीं दी। हालांकि रस्म के अनुसार बीएसएफ के अधिकारियों व गांव के पंच-सरपंचों के साथ मिलकर बाबा दिलीप सिंह की मजार पर चादर चढ़ाई।
करीब 323 वर्ष साल से लगातार जिला सांबा के रामगढ़ में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगने वाले चमलियाल मेले (उर्स) का आयोजन हर साल जून महीने के चौथे वीरवार को होता है। जम्मू कश्मीर प्रशासन व सीमा सुरक्षाबल की तरफ से मेले के लिए तैयारियां की जाती हैं। परंतु इस साल कोरोना संक्रमण के कारण प्रशासन ने अन्य धार्मिक समारोह की तरह ही इस मेले को भी आयोजित करने की इजाजत नहीं थी। इक्का-दुक्का अधिकारियों को ही चादर चढ़ाने के लिए कहा गया था।
बताया यही जाता है कि पाकिस्तानी नागरिक बाबा के प्रति कुछ अधिक ही श्रद्धा रखते हैं, तभी तो इस ओर मेला एक दिन तथा उस ओर सात दिनों तक चलता रहता है, जबकि इस ओर 60 से 70 हजार लोग इसमें शामिल होते रहे हैं, जबकि सीमा के उस पार लगने वाले मेले में शामिल होने वालों की संख्या चार लाख से भी अधिक होती है।