प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह भी स्पष्ट है कि पीठासीन अधिकारी (मसीह) ने जो भूमिका निभाई है, वह गंभीर कदाचार है। पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
पीठ ने शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वे मसीह को नोटिस जारी कर बताएं कि न्यायालय के समक्ष कथित रूप से गलत बयान देने के लिए क्यों न उनके खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत कार्यवाही शुरू की जाए। इसमें कहा गया है कि वे नोटिस पर अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं और मामले पर 3 सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पीठासीन अधिकारी के रूप में मसीह के आचरण की 2 स्तरों पर निंदा की जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि सबसे पहले, अपने आचरण से उन्होंने (मसीह ने) गैरकानूनी तरीके से महापौर चुनाव की दिशा बदल दी। दूसरे, 19 फरवरी को इस अदालत के समक्ष एक गंभीर बयान देते हुए पीठासीन अधिकारी ने गलतबयानी की जिसके लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।