Chandrayaan-2 मिशन पर इसरो ने कहा, चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर तक दूर रहने के बाद लैंडर से सिग्नल आना बंद

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शनिवार, 7 सितम्बर 2019 (06:55 IST)
बेंगलुरु। देर रात भारत के मिशन ‘चंद्रयान 2’ में जब विक्रम लैंडर चांद की सतह से सिर्फ 2.1 किलोमीटर तक दूर था, तभी अचानक उससे सिग्नल आने बंद हो गए। विक्रम लैंडर की सही लोकेशन नहीं मिल पा रही है और कम्युनिकेशन लिंक को कनेक्ट करने के प्रयास जारी हैं। ISRO ने कहा कि आंकड़ों का अध्ययन जारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सुबह 8 बजे ISRO के बेंगलुरू से देश को संबोधित करेंगे।

मोदी ने वैज्ञानिकों को कहा, हिम्मत रखिए : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी समय तक इसरो के मुख्यालय में रहे और उन्होंने चंद्रयान 2 मिशन के लिए इसरो के अध्यक्ष के सिवन की पीठ थपथपाई। उन्होंने कहा कि जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। देश वैज्ञानिकों पर गर्व करता हैं। हिम्मत से चलें, देश आपके साथ है। देश सेवा करने के लिए आपको बधाई। आपने बहुत बड़ी सेवा की है, विज्ञान की और मानव जाति की। आपकी हिम्मत से मैंने बहुत कुछ सीखा है।



रात 3 बजे इसरो ने किया ट्‍वीट : रात 3 बजे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी इसरो ने ट्‍वीट करके कहा कि विक्रम लैंडर का 2.1 किलोमीटर तक सब कुछ सामान्य था, अचानक इसरो से लैंडर का संपर्क टूट गया। डेटा को एनालाइज किया जा रहा है।

इसरो के मुख्यालय में मौजूद रहे नरेंद्र मोदी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान 2 की ऐतिहासिक कामयाबी के गवाह बनने के लिए देर रात को इसरो के मुख्यालय पहुंच गए, जहां इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने उनका स्वागत किया। वे आधी रात तक इसरो मु्ख्यालय में ही रहे। उन्होंने कहा कि पूरे देश को हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व है।

चंद्रयान-2 की कामयाबी के लिए पूरे देश में प्रार्थनाओं का दौर : शुक्रवार को पूरे देश में चंद्रयान-2 मिशन की कामयाबी के लिए पूरे देश में प्रार्थनाओं का दौर जारी है। उज्जैन और वाराणसी में विशेष पूजा की गई जबकि हरिद्वार में गंगा आरती में सफलता की कामना की गई।

प्रयागराज और मुंबई के राजा लालबाग में विशेष पूजा हुई। गाजियाबाद में महिलाओं ने अपने हाथों पर चंद्रयान और चांद की मेंहदीं हाथों पर रचाई तो जोधपुर में चंद्रयान के नाम की चलेबियां सुर्खियों में रहीं। कैलाश खेर ने गीत गाकर शुभकामनाएं दी।
रोमांच से भरे हुए हैं इसरो चीफ : सिवन ने कहा कि सब कुछ हमारी योजना के मुताबिक ही हो रहा है। हम ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लैंडिंग का क्षण वाकई दिलों की धड़कनों को रोकने जैसा होगा क्योंकि यह पहला प्रसंग होगा, जब भारत चांद पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने जा रहा है। अद्‍भुत, बेहद रोमांचकारी और जिंदगी में कभी न भूलने वाला वह दुर्लभ वक्त होगा।
 
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मन में घबराहट : इस मिशन से जुड़े एक अधिकारी ने अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, निश्चित ही पूरी (चंद्रयान-2) टीम के मन में घबराहट है क्योंकि यह एक जटिल अभियान है और हम पहली बार ऐसा कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि सेंसरों, कम्प्यूटरों, कमांड प्रणालियों...सभी का अच्छी तरह काम करना आवश्यक है, लेकिन हमने जमीन पर कई आभासी परीक्षण किए हैं, जिससे हमें यह भरोसा मिलता है कि सब सही होगा।
 
 
1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर ‘विक्रम’ : भारत जब चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की कोशिश करेगा तो सभी की नजरें लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ पर टिकी होंगी। 1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। इसे चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के लिए तैयार किया गया है। यह एक चंद्र दिवस के लिए काम करेगा। एक चंद्र दिवस पृथ्वी के करीब 14 दिनों के बराबर होता है।
 
यह है ‘प्रज्ञान’ की विशेषता : रोवर 27 किलोग्राम वजनी छह पहिया रोबोटिक वाहन है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस है। इसका नाम ‘प्रज्ञान’ है जिसका मतलब ‘बुद्धिमत्ता’ से है। यह ‘लैंडिंग’ स्थल से 500 मीटर तक की दूरी तय कर सकता है और यह अपने परिचालन के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा। यह लैंडर को जानकारी भेजेगा और लैंडर बेंगलुरु के पास ब्याललु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क को जानकारी प्रसारित करेगा।
लैंडर में 3 वैज्ञानिक उपकरण : इसरो के अनुसार, लैंडर में 3 वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं, जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देंगे, जबकि रोवर के साथ 2 वैज्ञानिक उपकरण हैं, जो चांद की सतह से संबंधित समझ बढ़ाएंगे। इसरो ने कहा है कि ‘चंद्रयान-2’ अपने लैंडर को 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश में दो गड्ढों- ‘मैंजिनस सी’ और ‘सिंपेलियस एन’ के बीच ऊंचे मैदानी इलाके में उतारने का प्रयास करेगा।
 
लैंडर के भीतर से निकलेगा 'प्रज्ञान' : लैंडर के चांद पर उतरने के बाद इसके भीतर से रोवर ‘प्रज्ञान’ बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस यानी के पृथ्वी के 14 दिनों की अवधि तक अपने वैज्ञानिक कार्यों को अंजाम देगा। सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ भारत को रूस, अमेरिका और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगी। इसके साथ ही भारत अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय लिखते हुए चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला विश्व का प्रथम देश बन जाएगा।
 
अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने के लिए तैयार : सिवन ने हाल में कहा था कि प्रस्तावित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ दिलों की धड़कन थाम देने वाली साबित होने जा रही है क्योंकि इसरो ने ऐसा पहले कभी नहीं किया है। गौरतलब है कि ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण तकनीकी खामी के चलते 15 जुलाई को टाल दिया गया था। इसके बाद 22 जुलाई को इसके प्रक्षेपण की तारीख पुनर्निर्धारित करते हुए इसरो ने कहा था कि ‘चंद्रयान-2’ अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने के लिए तैयार है।
 
वैज्ञानिक उपकरण करेंगे चांद की सतह का मानचित्रण : ‘चंद्रयान-2’ के ‘ऑर्बिटर’ में आठ वैज्ञानिक उपकरण हैं जो चंद्रमा की सतह का मानचित्रण करेंगे और पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह के बाह्य परिमंडल का अध्ययन करेंगे। ‘लैंडर’ के साथ तीन उपकरण हैं जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। वहीं, ‘रोवर’ के साथ दो उपकरण हैं, जो चंद्रमा की सतह के बारे में जानकारी जुटाएंगे।

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