कांग्रेस के छत्तीसगढ़ के प्रभारी महासचिव वीके हरिप्रसाद, प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल तथा विधानसभा में विपक्ष के नेता टीएस सिंहदेव ने कहा कि राज्य में आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़छाड़, मारपीट और अपहरण की घटनाएं आए दिन हो रही हैं। इनमें कई घटनाओं में पुलिस की संलिप्तता की पुष्टि हुई है, लेकिन प्रशासन निष्क्रिय होकर बैठा है।
उन्होंने कहा कि राज्य में 11000 आदिवासी मिहलाएं गायब हैं और उनके बारे में कोई जानकारी किसी के पास नहीं हैं। पिछले वर्ष 9 से 24 अक्टूबर एवं इस वर्ष 11 से 14 जनवरी के बीच ही तीन अलग -अलग घटनाओं में पुलिस के खिलाफ गैंगरैप और बलात्कार की शिकायत दर्ज की गई है। इसी तरह बीजापुर, पेड्डागेलूर तथा चिन्नागेलूर गांव में 15 महिलाओं ने पुलिस पर शोषण करने तथा धमकाने का आरोप लगाए गए हैं, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
हरिप्रसाद ने कहा कि छत्तीसगढ में आदिवासी महिलाओं के साथ अत्याचार में पुलिस संलिप्त है और पीड़ितों की कोई सुनने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिस की इस बर्बरता से साफ हो गया है कि इसी तरह का निरंकुश व्यवहार करने के लिए मोदी सरकार देश में कांग्रेसमुक्त शासन का सपना देखती रही है लेकिन अब उसे चुनाव दर चुनाव करारी हार का सामना करना पड रहा है और उसका यह ख्वाब खत्म होने लगा है।
कांग्रेस नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में आत्मसमर्पण की फर्जी घटनाएं हो रही हैं। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि माओवाद से प्रभावित बस्तर जिले में एक जून से 28 नवंबर के बीच 377 कथित माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है जिनमें 155 लोगों ने अकेले नवंबर में आत्मसमर्पण किया है। बाद में जब इन लोगों से संपर्क किया गया और पुलिस रिकार्ड को खंगाला गया तो पता चला कि 377 में से 270 निर्दोष ग्रामीण थे जिनका माओवाद से कुछ लेना देना नहीं है।