पत्रकार ज्योतिर्मय डे हत्या मामले की सुनवाई कर रही विशेष महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) अदालत ने सोमवार को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत राजन का बयान दर्ज किया। इस धारा के तहत आरोपी व्यक्तिगत रूप से अपने खिलाफ लगाए गए उन आरोपों की स्थितियों को अदालत के समक्ष बयां कर सकता है।
वीडियो लिंक के जरिये उसने अदालत को बताया कि वह जब तक दाऊद गैंग (1993 तक) का हिस्सा था तो उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं था। बाद में पुलिस, नेताओं और दाऊद ने मिलकर मुझे झूठे मामलों में फंसवाया। आरोपी ने इस बात का खंडन किया कि उसने डे की हत्या करवाई क्योंकि पत्रकार अपने लेखों के जरिये उसकी मानहानि कर रहा था।
राजन ने मराठी में कहा, 'यह कहना गलत है कि मैंने डे की हत्या की।’’ जब विशेष न्यायाधीश एस एस अदकर ने उससे पूछा कि क्यों गवाह उसके खिलाफ गवाही दे रहे हैं तो राजन ने कहा कि वे पुलिस के इशारे पर कर रहे हैं।'
राजन ने कहा, 'मुझे फंसाया गया है। मेरे खिलाफ कई मामले हैं, मैं नहीं जानता कि कौन सा मामला क्या है।' राजन ने कहा कि 1993 के मुंबई बम धमाकों के बाद उसने दाऊद इब्राहिम गिरोह से नाता तोड़ लिया और बाद में उसने भारतीय खुफिया एजेंसियों को कुछ सूचना दी, जिसका दाऊद को पता चल गया।