चिदंबरम ने एक बयान में कहा कि मुझे खुशी है कि 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य आरोपियों में से एक तहव्वुर हुसैन राणा को 10 अप्रैल, 2025 को भारत प्रत्यर्पित किया गया, लेकिन पूरी कहानी बताई जानी चाहिए।
उन्होंने संप्रग सरकार के समय हुए कई प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह कोई मीडिया स्टंट नहीं, बल्कि शांत, दृढ़संकल्पित कानूनी कूटनीति थी। उनका कहना है कि मोदी सरकार ने न तो यह प्रक्रिया शुरू की और न ही कोई नई सफलता हासिल की। उसे केवल संप्रग सरकार के तहत शुरू की गई परिपक्व, सुसंगत और रणनीतिक कूटनीति से लाभ हुआ।
उन्होंने कहा कि यह प्रत्यर्पण इस बात का प्रमाण है कि जब कूटनीति, कानून प्रवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को ईमानदारी से और किसी भी प्रकार की छाती ठोके बिना अपनाया जाता है तो भारत क्या हासिल कर सकता है।