उन्होंने कहा कि ब्रह्मपुत्र घाटी सभ्यता देश की प्राचीन सभ्यता है लेकिन इसे चीन की तरफ से बहुत गंभीर चुनौती पैदा हो गई है। ब्रह्मपुत्र हमारी जीवनरेखा है। 50 प्रतिशत से अधिक पानी हमें ब्रह्मपुत्र नदी से मिलता है। ब्रह्मपुत्र नदी का स्रोत चीन में है। चीन ने इस स्रोत के पास बहुत बड़े-बड़े बांधों का निर्माण किया है और पानी को दूसरी ओर प्रवाहित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि मेकांग नदी का पानी 6 विभिन्न देशों द्वारा साझा किया जाता है। उनके बीच पानी साझा करने को लेकर एक समझौता है। आपके माध्यम से मैं संबंधित मंत्रालय से आग्रह करता हूं कि वह कोई समझौता करें ओर चीन को ब्रह्मपुत्र नदी के जल को दूसरी ओर प्रवाहित करने से रोके। नहीं तो ब्रह्मपुत्र घाटी सभ्यता नहीं बचेगी। यह बहुत दुर्भायपूर्ण होगा।
उल्लेखनीय है कि ब्रह्मपुत्र को भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और बांग्लादेश के लिए जीवन का आधार माना जाता है और लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए इस पर निर्भर हैं। मेकांग नदी को दक्षिण पूर्व एशिया की गंगा कहा जाता है। यह नदी चीन से निकलकर म्यांमार, लाओस, थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम तक बहती है।