बीजिंग। चीन के इंजीनियर ऐसी तकनीकों का परीक्षण कर रहे हैं जिनका इस्तेमाल ब्रह्मपुत्र नदी के जलप्रवाह को अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे तिब्बत से शिनजियांग की तरफ मोड़ने के लिए 1,000 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने में किया जा सकता है।
तिब्बत से यह नदी पूर्वोत्तर भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। चीन में इस नदी को यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है।
साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, शिनजिआंग को कैलिफोर्निया में बदलने के लिए प्रस्तावित सुरंग को लेकर पर्यावरणविदों ने चिंता जताई है। इस सुरंग का हिमालयी क्षेत्र पर प्रभाव पड़ सकता है। यह प्रस्तावित सुरंग तिब्बत के पठार से नीचे की ओर कई जगहों पर जाएगी जो वॉटरफॉल्स से जुड़ी होंगी। इससे चीन के सबसे ब़़डे प्रशासनिक संभाग को पानी मुहैया कराया जाएगा। इस संभाग का ब़़डा हिस्सा रेगिस्तानी और शुष्क घास का मैदान है।
दक्षिणी तिब्बत में ब्रह्मपुत्र के पानी को शिनजिआंग में तकलामाकान रेगिस्तान की तरफ मोड़ा जाएगा। प्रस्तावित सुरंग का मसौदा तैयार करने में मददगार शोधकर्ता वांग वेई ने कहा कि 100 से अधिक वैज्ञानिकों ने शोध के लिए देशव्यापी स्तर पर विभिन्न टीमें गठित की हैं। यह मसौदा मार्च महीने में सरकार को सौंपा जा चुका है।
चीन की सरकार ने मध्य युनान प्रांत में इसी साल अगस्त में 600 किलोमीटर से अधिक लंबी सुरंग बनाने का काम आरंभ किया। शोधकर्ताओं का कहना है कि युनान में बन रही सुरंग नई प्रौद्योगिकी का पूर्वाभ्यास है। इसका इस्तेमाल ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह को मोड़ने में किया जा सकता है।