युद्धोन्मादी चीन की धमकी, कर देंगे 62 से भी बुरा हाल; कितने तैयार हैं हम...

बुधवार, 5 जुलाई 2017 (14:20 IST)
भारत और चीन के बीच इन दिनों सीमा विवाद के चलते तनाव अपने चरम पर है। सिक्किम क्षेत्र में आने वाले भूटान के डोका ला क्षेत्र को लेकर दोनों देशों  की सेनाएं आमने-सामने हैं और इन मुद्दों पर लगातार उग्र बयान भी आ रहे हैं। इसी तारतम्य में चीन के सरकारी अखबार द ग्लोबल टाइम्स ने एक  भड़काऊ लेख लिखा है कि भारत को एक बार फिर सबक सिखाने का वक्त आ गया है, इस बार नतीजे 1962 से भी बुरे होंगे। 
 
उल्लेखनीय है कि चीन सिक्किम क्षेत्र में आने वाले भूटान के डोका ला तक सड़क निर्माण कर रहा है। डोका ला को चीन, भूटान और भारत का मिलन बिंदु  माना जाता है और भारत भूटान के साथ हुए समझौते के अंतर्गत इस क्षेत्र या भूटान की हिफाजत के लिए प्रतिबद्ध है। 
 
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जहां तक चीन का प्रश्न है उसकी तो नीतियां हमेशा से ही साम्राज्यवादी रही हैं। पड़ोसी देशों की सीमा में घुसपैठ कर उसकी जमीन पर ‍अधिकार जताना  चीन की हमेशा से ही नीति रही है। चाहे भारत की बात करें या फिर वियतनाम, ताइवान, जापान या दक्षिण कोरिया की, किसी भी देश से चीन के संबंध  अच्छे नहीं हैं। यदि रूस की भी बात करें तो चीन के उससे भी बहुत अच्छे संबंध नहीं हैं। 
 
क्या है विवाद : चीन डोका ला को अपना इलाका मानता है जबकि भारत और भूटान इसे भूटान का इलाका मानते हैं। भारतीय सेना ने भूटान की मदद  करते हुए इस इलाके में घुसकर सड़क निर्माण को बाधित किया था। इसके बाद से चीन लगातार घुसपैठ के दावे कर रहा है। दोनों देशों की सेना के बीच  धक्का-मुक्की की खबरें भी आई थीं। 
 
इसके विरोध में चीन ने नाथू ला पास पर स्थित भारत के बंकर ध्वस्त कर दिए थे, जिसके चलते इस रास्ते से कैलाश मानसरोवर यात्रा को रद्द करना पड़ा.  इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति बनी हुई है। भारत के लिए डोका ला पर चीन का सड़क निर्माण रोकना इसलिए भी आवश्यक है कि  सड़क बनने के बाद युद्ध की स्थिति में चीनी सेना भारत की सीमा तक आसानी से पहुंच सकती है। 
 
उल्लेखनीय है कि 1975 में चीन की आपत्ति के बावजूद भारत ने सिक्किम को भारतीय गणराज्य का 22वां राज्य बनाया था, जिसके बाद से ही चीन इस  पूरे क्षेत्र में अनावश्यक तनाव बनाए रखता है। 
 
चीन के थिंक टैंक और चीनी मीडिया की धमकियों को देखते हुए भारत ने भी पुख्ता तैयारी कर ली है। आइए जानते हैं कि भारत और चीन की सैन्य  क्षमताओं के बारे में और चीनी धमकियों का मुकाबला करने में कितनी सक्षम है भारतीय सेना। 

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