नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को ‘पद से हटाने’ के लिए कांग्रेस एवं अन्य दलों की ओर से दिए गए नोटिस पर कानूनविदों से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद आज उसे नामंजूर कर दिया।
राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार नायडू ने कांग्रेस सहित सात दलों के नोटिस को नामंजूर करने के अपने फैसले की जानकारी राज्यसभा के महासचिव देश दीपक वर्मा को दे दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नायडू के फैसले की पुष्टि करते हुए बताया कि सभापति ने वर्मा से कहा है कि वे नोटिस देने वाले सदस्यों को उसे नामंजूर किए जाने की जानकरी से अवगत करा दें।’’
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सहित सात दलों ने न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए शुक्रवार को उपराष्ट्रपति नायडू को नोटिस दिया था। नोटिस में न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ पांच आधार पर कदाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें ‘प्रधान न्यायाधीश के पद से हटाने की प्रक्रिया’ शुरू करने की मांग की थी।
अधिकारी ने बताया कि नायडू ने देश के शीर्ष कानूनविदों से इस मामले के सभी पहलुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श करने के बाद यह फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि नोटिस में न्यायमूर्ति मिश्रा पर लगाए गए कदाचार के आरोपों को प्रथम दृष्टया संविधान के अनुच्छेद 124 (4) के दायरे से बाहर पाए जाने के कारण इन्हें अग्रिम जांच के योग्य नहीं माना गया। राज्यसभा सचिवालय नोटिस देने वाले सदस्यों को इसे स्वीकार नहीं करने के नायडू के फैसले के मुख्य आधारों से भी अवगत कराएगा।
विपक्षी दलों के 71 सदस्यों के हस्ताक्षर वाले इस नोटिस पर नायडू ने कल संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप और पूर्व विधि सचिव पीके मल्होत्रा सहित अन्य विशेषज्ञों से कानूनी राय ली थी। नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों में 64 वर्तमान सदस्य हैं जबकि सात सदस्य अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।