Electricity Crisis : 12 राज्यों पर मंडराया बिजली संकट का खतरा, जानिए किस राज्य में कैसे हैं हालात, कितना बचा है कोयला
शनिवार, 23 अप्रैल 2022 (18:42 IST)
नई दिल्ली। देश में एक तरफ जहां गर्मी बढ़ रही है, वहीं देश के कई राज्यों में कोयला संकट गहराने लगा है। तापीय बिजली घरों को चलाने के लिए 12 राज्यों में कोयले के कम भंडार की स्थिति की वजह से बिजली संकट (Electricity Crisis) पैदा हो सकता है। उत्तरप्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पंजाब में बिजली कटौती का लोगों को सामना करना पड़ रहा है। खबरों के मुताबिक बिजली कटौती ग्रामीण इलाकों में की जा रही है।
7 दिन का कोयला बचा : केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक देश में केवल 7 दिन का कोयला बचा है, जो कि 65 प्रतिशत संयंत्रों के पास है। कोयले की कमी व गहराते संकट से संभावना जताई जा रही है कि बिजली संकट और भी गहरा सकती है। देश की उत्तरी राज्यों में शाम के समय 2,400 मेगावॉट बिजली की कमी दर्ज की जा रही है। इसमें उत्तर प्रदेश से 1,200 मेगावॉट और हरियाणा से 600 मेगावॉट की कमी रिकॉर्ड की गई है।
किस राज्य में कितना कोयला बचा : देश के उत्तरी क्षेत्र में सबसे ज्यादा खराब स्थिति राजस्थान और उत्तर प्रदेश की है। राजस्थान में 7,580 मेगावॉट क्षमता वाले सभी सातों तापीय संयंत्रों के पास बहुत कम स्टॉक बचा है। उत्तर प्रदेश में भी अनपरा संयंत्र को छोड़कर तीन सरकारी संयंत्रों में कोयला स्टॉक की स्थिति गंभीर बनी हुई है। पंजाब के राजपुरा संयंत्र में 17 दिनों का कोयला भंडार बचा है जबकि तलवंडी साबो संयंत्र के पास चार दिन का स्टॉक है। वहीं जीवीके संयंत्र के पास कोयले का स्टॉक खत्म हो चुका है।
रोपड़ और लहर मोहब्बत संयंत्रों में भी क्रमशः नौ एवं छह दिनों का भंडार ही बचा है। बयान के मुताबिक हरियाणा में यमुनानगर संयंत्र में आठ दिन और पानीपत संयंत्र में सात दिन का स्टॉक है। खेदार बिजली संयंत्र में सिर्फ एक इकाई के ही सक्रिय रहने से 22 दिनों का स्टॉक बचा हुआ है।
उत्तरप्रदेश में कटौती : कोयले की कमी का असर पर उत्तरप्रदेश के बिजली संयंत्रों पर देखने को मिल रहा है। यहां कई इकाइयां बंद हो चुकी हैं। कोयले की स्टॉक में भी कमी आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में 4-6 घंटे बिजली कटौती की जा रही है। हालांकि जिला मुख्यालयों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है।
1400 से 1500 मेगावाट बिजली की समस्या
महाराष्ट्र में बिजली कटौती की जा रही है। राज्य सरकार ने स्वीकार किया है कि राज्य के कुछ हिस्सों में बिजली कटौती की जा रही है, क्योंकि राज्य 1400 से 1500 मेगावॉट बिजली की समस्या से जूझ रहा है। लोडशेडिंग के कारण ऐसा किया जा रहा है।
उत्तराखंड में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर
उत्तराखंड में कोयले की कमी के कारण अधिकारियों का कहना है कि बिजली संकट का मामला अभी और गहरा सकता है। फर्नेश उद्योगों में 8-10 घंटे और अन्य उद्योगों में 6-8 घंटे तक बिजली की कटौती की जा सकती है। यहां ग्रामीण क्षेत्र में 4-5 घंटे और शहरी क्षेत्र में 2 घंटे बिजली कटौती की जा रही है।
झारखंड में सात घंटे बत्ती गुल
झारखंड में बिजली संकट का लोगों को सामना करना पड़ता है। यहां बिजली की मांग 2500 से 2600 मेगावॉट है लेकिन राज्य की बिजली आपूर्ति 2100-2300 है। इस कारण शहरों में 4 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 7 घंटे बिजली की कटौती की जा रही है। राज्य सरकार के पास मात्र 7 दिन कोयले का भंडार है।
बिजली संकट की गहराने की आशंका : अखिल भारतीय बिजली इंजीनियर महासंघ ने देशभर के कोयला-आधारित बिजली उत्पादन संयंत्रों में कोयले की समुचित आपूर्ति नहीं होने से आने वाले समय में बिजली संकट पैदा होने की आशंका जताई है। एआईपीईएफ कहा कि गर्मी बढ़ने के साथ ही देश के अधिकांश राज्यों में बिजली की मांग बढ़ गई है लेकिन कोयले से चलने वाले तापीय बिजली संयंत्रों को जरूरी मात्रा में कोयला नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच के फासले को पाटने में कई राज्यों को दिक्कत हो रही है।
गंभीर स्थिति में संयंत्र : महासंघ के प्रवक्ता वीके गुप्ता ने कहा कि तापीय विद्युत संयंत्रों को कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित न किए जाने पर देश को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। बयान में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की नवीनतम दैनिक कोयला रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि घरेलू कोयले का इस्तेमाल करने वाले कुल 150 ताप-विद्युत स्टेशनों में से 81 में कोयले का भंडार गंभीर स्थिति में है। निजी क्षेत्र के ताप विद्युत संयंत्रों की स्थिति भी उतनी ही खराब है, जिनके 54 में से 28 संयंत्रों में कोयले का भंडार गंभीर स्थिति में है।
सरकार क्या उठा रही है कदम : केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने अगले कुछ महीनों में बिजली की मांग चरम पर होने की स्थिति में कोयले का पर्याप्त स्टॉक बनाए रखने के लिए 10 प्रतिशत तक मिश्रण के लिए कोयला विदेश से मंगाने की सिफारिश की है। हालांकि, एआईपीईएफ का मानना है कि महंगे आयातित कोयले से लागत बढ़ जाएगी। इसके अलावा कोयले की ढुलाई के लिए रेलवे ने हर दिन 415 ट्रेनों के इस्तेमाल की ही प्रतिबद्धता जताई है जबकि जरूरत 453 ट्रेनों की है। वैसे व्यवहार में ढुलाई में लगी ट्रेनों की संख्या कभी भी 400 से अधिक नहीं होती है।