शुक्र कीजिए, आप भारत में हैं, यूरोप में बिजली 250 और गैस 400 प्रतिशत हुई महंगी

कभी भारत में बिजली के मुद्दे पर चुनाव लडे और जीते जाते थे, यह चुनावी दलों के घोषणा पत्र का प्रमुख वादा हुआ करता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है, अब भारत में बि‍जली कटौती को लेकर कोई चर्चा नहीं होती, हालांकि कोयला संकट के बाद आने वाले दिनों में क्‍या होगा यह तो वक्‍त ही बताएगा। लेकिन फि‍लहाल यह तो शुक्र मनाया जा सकता है कि आप भारत में हैं, क्‍योंकि यूरोप में बिजली 250 प्रतिशत और गैस 400 प्रतिशत महंगी हो चुकी है। जिससे कई देशों में हाहाकार की स्‍थि‍ति है।

दरअसल, यूरोप में कोरोना के बाद प्रोडक्‍शन अब तक पटरी पर नहीं लौट पाया है। चीन की फैक्‍ट्रि‍यों में करीब 18 प्रतिशत तक उत्‍पादन घट गया है। जिसके चलते कई देशों में डि‍मांड और सप्‍लाय का गणित बि‍गड़ चुका है, इसी वजह से प्राकृतिक गैस और तेल के दाम सरकारों के हाथों से फि‍सल चुके हैं। नतीजा यह है कि दुनिया के कई देशों में तो ‘पावर कट’ की शुरूआत हो चुकी है। लेबनान पूरी तरह से अंधेरे में डूबने लगा है।

यूरोप में जो ठंडे देश हैं, वहां हालात बेहद ज्‍यादा बिगड़ने वाले हैं, क्‍योंकि बर्फबारी के दिनों में यहां घरों को गर्म रखने के लिए व्‍यापक मात्रा में बिजली संसाधनों की जरूरत पड़ती है। विशेषज्ञों ने पहले से चेतावनी दी है कि आने वाले समय में यह संकट बहुत ज्‍यादा गहराने वाला है।

• यूरोप में बिजली 250 प्रतिशत और गैस 400 प्रतिशत महंगी
• स्‍पेन, इटली, फ्रांस और पोलेंड भारी भरकम बि‍ल जमा कर रहे नागरिक 
• एशि‍या के चीन की फैक्‍ट्रि‍यों में करीब 18 प्रतिशत तक उत्‍पादन घट
• यूरोप में गैस की कीमतें एक साल में €16 मेगावाट प्रति घंटे से बढ़कर €75 यूरो हो गई
• यहां एक साल से भी कम समय में कीमत औसतन 360 प्रतिशत तक बढ़ गई
• कोरोना के बाद भारत में बिजली की ख़पत 2019 के मुकाबल में 17 प्रतिशत बढ़ गई
• इस बीच दुनियाभर में कोयले के दाम 40 फ़ीसदी तक बढ़े हैं

क्‍यों हुए दुनिया में ऐसे हालात: दरअसल, यूरोप में गैस की कीमतें जनवरी की शुरुआत में €16 यूरो मेगावाट प्रति घंटे से बढ़कर सितंबर आते आते €75 यूरो हो गई हैं, यानी एक साल से भी कम समय में कीमत 360 प्रतिशत बढ गई। 
 
स्‍पेन, इटली, फ्रांस और पोलेंड जैसे देशों के नागरिक इस वक्‍त ईंधनों के बेहद महंगे बिल जमा करने को मजबूर हैं। इससे यूरोप में कोरोना महामारी से होने वाला आर्थि‍क संकट और ज्‍यादा गहराने लगा है। सरकारों ने इस मुद्दे को हाई अलर्ट पर रखा है। जनप्रतिनि‍धि‍यों और मंत्र‍ियों को इमरजेंसी से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है। 
 
इटली : इटली में तो इकोलॉजि‍कल ट्रांजिशन मिनिस्‍टर रॉबर्टो सिंगोलानी ने तो अपने नागरिकों को पहल से ही ईंधन के बि‍लों में 40 प्रतिशत बढोत्‍तरी की चेतावनी दे डाली है।

फ्रांस: फ्रांस ने कहा है कि कम आय वाले करीब 5.8 मिलियन से ज्‍यादा परिवारों को 100 यूरो का एकमुश्‍त बि‍ल भुगतान भेजेगा।

स्‍पेन : उधर स्‍पेन की सरकार ने नागरिकों से कीमतों को 2018 तक के स्‍तर तक नीचे लाने का वादा किया है।

ब्र‍िटेन : ब्रिटेन में बिजली के दाम बढ़ने वाले हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में 10 लाख से भी ज़्यादा परिवार अगले साल की शुरुआत में बिजली या अन्य ऊर्जा साधन उपयोग नहीं कर पाएंगे।

ऊर्जा नियामक ऑफजेम ने आगाह किया है कि लोगों को अगले साल फिर से उर्जा के दामों में बढ़ोतरी देखनी पड़ सकती है। पिछले महीने, इस क्षेत्र में काम करने वालीं नौ कंपनियां बंद हो गईं। वो बढ़ते दामों के चलते आई बढ़ती लागत को नहीं झेल पाईं।

भारत की स्‍थि‍‍ति : भारत में कोयले की कमी के चलते पिछले कई दिनों से बिजली की कमी का संकट बताया जा रहा है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बिजली की कमी आशंका जताई थी। उत्तर प्रदेश में भी कोयले की कमी के कारण आठ बिजली संयंत्र बंद कर दिए गए हैं। देश में तीन से चार दिनों का कोयला बचे होने की खबरें सामने आ रही हैं।

इसी तरह से गुजरात, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और तमिलनाडु की सरकारें भी कोयला खत्‍म होने की बात कर चुके हैं।

भारत में ऐसा क्‍यों हुआ?
दरअसल, पिछले कई महीनों से यह संकट गहरा रहा था। कोविड महामारी की दूसरी लहर के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में तेज़ी आई है और बिजली की मांग भी अचानक बढ़ी है।

रिपोर्ट के मुताबि‍क बीते दो महीनों में ही बिजली की ख़पत 2019 के मुकाबल में 17 प्रतिशत बढ़ गई है। इस बीच दुनियाभर में कोयले के दाम 40 फ़ीसदी तक बढ़े हैं, जबकि भारत का कोयला आयात दो साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। भारत वैसे तो दुनिया में कोयले का चौथा सबसे बड़ा भंडार है, लेकिन ख़पत की वजह से भारत कोयला आयात करने में दुनिया में दूसरे नंबर पर है।

क्‍या है दुनिया की स्‍थि‍ति: अमेरिका: शुक्रवार को एक गैलन गैसोलिन की कीमत 3.25 डॉलर, जबकि अप्रैल में यही कीमत 1.27 प्रति गैलन थी। यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया के प्रो. स्टीवन डेविस ने कहा, सर्दियों में परंपरागत ईंधन की खपत 1 फीसदी बढ़ जाएगी।

ब्रिटेन: गैस के दाम भी पिछले एक दशक के दौरान सबसे ज्यादा हैं। ब्रिटेन के पास उत्तरी सागर में गैस के बड़े भंडार हैं। लेकिन वहां से गैस निकालने का काम रोक दिया था।

चीन: कई प्रांतों में घंटों तक बिजली कटौती की जा रही है। कोयले का उत्खनन 65 फीसदी तक कम कर दिया है। चीन की कई फैक्ट्रियों में उत्पादन शून्य हो गया है। कई फैक्ट्रियां बंद।

लेबनान: बिजली स्टेशन अल ज़हरानी और दीर अम्मार बंद। रविवार को सेना ने इमरजेंसी ईंधन सप्लाई शुरू की। सरकार ने ईंधन आयात के लिए 740 करोड़ रुपए जारी किए।

दक्षि‍ण पूर्व एशिया: सितंबर के बाद से यहां नेचुरल गैस के दामों में 85 फीसदी तक की वृद्धि हो चुकी है। ये गत 13 वर्षों में सबसे अधिक है। फैक्ट्रियों के उत्पादन में 16% तक की कमी।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी