पित्रोदा के बयान पर गरमाई राजनीति, भाजपा व अन्य दलों ने बोला तीखा हमला

शुक्रवार, 10 मई 2019 (22:23 IST)
रोहतक/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 1984 सिख विरोधी दंगों के संदर्भ में 'हुआ तो हुआ' टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और उनकी पार्टी पर तीखा हमला बोलते हुए शुक्रवार को कहा कि यह विपक्षी दल का चरित्र और अहंकार दिखाता है।
 
पित्रोदा की टिप्पणी को लेकर चुनावी माहौल में राजनीतिक पारा चढ़ने पर कांग्रेस ने स्वयं को उनकी टिप्पणी से अलग कर लिया और पार्टी नेताओं से कहा कि वे भविष्य में सावधान और संवेदनशील रहें। वहीं कांग्रेस नेता पित्रोदा ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह हिन्दी के 3 शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है कि ताकि वह तथ्यों को अपने हिसाब से गढ़ सके, हमें (कांग्रेस) बांट सके और अपनी नाकामियां छिपा सके। अतीत की चीजें इस चुनाव में प्रासंगिक नहीं हैं।
 
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने गुरुवार को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में एक पत्रकार द्वारा दंगों के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा था, 'हुआ तो हुआ।' 
 
इस बीच राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के संदर्भ में कथित तौर पर विवादित बयान देने के मामले में सैम पित्रोदा को नोटिस जारी करके कहा कि वे इस संदर्भ में स्पष्टीकरण दें और सिख समुदाय से तत्काल बिना शर्त माफी मांगें।
 
भाजपा नेता तेजिंदर पाल बग्गा की शिकायत पर पित्रोदा को भेजे गए नोटिस में सिख विरोधी दंगे को मानवता के इतिहास पर कलंक करार देते हुए आयोग के सदस्य आतिफ रशीद ने कहा कि अल्संख्यक आयोग अधिनियम की धारा 9 के तहत आयोग आपको निर्देश देता है कि गत 9 मई के अपने बयान पर स्पष्टीकरण दें। नोटिस में रशीद ने कहा कि आपको यह भी निर्देशित किया जाता है कि आप सिख समुदाय से तत्काल बिना शर्त माफी मांगें। 
 
भाजपा ने मांग की कि संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी देश से माफी मांगें जबकि उसकी सहयोगी अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी एवं केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने कहा कि टिप्पणी अशोभनीय और गांधी परिवार की मानसिकता प्रतिबिम्बित करती है।
 
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह अपयश का विषय है कि पार्टी को कोई पश्चाताप नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि क्या राहुल गांधी इस बयान के लिए अपने गुरु को बाहर का रास्ता दिखाएंगे? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा के रोहतक और हिमाचल प्रदेश के मंडी में चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए भी सिख विरोधी दंगों पर पित्रोदा के बयान के लिए कांग्रेस पर हमला बोला।
 
मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने किस तरह से देश में 70 वर्षों तक शासन किया, उनका दिमाग किस तरह से कार्य करता है, वे किस तरह से अहंकार से भरे हुए हैं, उन्होंने यह कल गुरुवार को स्वयं 3 शब्दों से प्रकट कर दिया। कांग्रेस, जिसने अधिकतम समय तक शासन किया वह इतनी असंवेदनशील है, यह कल बोले गए 3 शब्दों से प्रकट होता है। ये शब्द यूं ही नहीं कहे गए हैं, ये शब्द कांग्रेस का चरित्र, मानसिकता और मंशा हैं।
 
उन्होंने पित्रोदा की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा कि और ये शब्द कौन से हैं, ये हैं- 'हुआ तो हुआ'। उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस और उसे चलाने वालों के अहंकार को इन 3 शब्दों- 'हुआ तो हुआ से अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
 
उन्होंने कहा कि कल कांग्रेस के एक बड़े नेता ने 1984 पर एक तेज आवाज में बोलते हुए कहा कि ' 84 का दंगा हुआ तो हुआ'। क्या आपको पता है कि ये नेता कौन हैं? वे गांधी परिवार के बेहद करीबी हैं। वे उनसे दैनिक आधार पर मिलते रहते हैं और उनके सबसे बड़े विश्वासपात्र हैं। वे (दिवंगत) राजीव गांधी के बहुत अच्छे मित्र हैं। वे कांग्रेस के नामदार के गुरु हैं। 
 
उन्होंने कहा कि उनके लिए जीवन का कोई मूल्य नहीं है। उनके लिए एक मनुष्य, मनुष्य नहीं है। मोदी ने मंडी में कहा कि पित्रोदा की टिप्पणी कांग्रेस की मानसिकता प्रतिबिम्बित करती है।
 
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा कि हमारे समाज में हिंसा और दंगे अस्वीकार्य हैं। कांग्रेस एवं इसके नेतृत्व ने 1984 के दंगों के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के मकसद से पूरा प्रयास किया है। कांग्रेस ने 1984 के दंगों और साथ ही 2002 के गुजरात दंगे सहित हिंसा की सभी घटनाओं में न्याय और सजा के लिए प्रयास का समर्थन किया है।
 
पित्रोदा ने कहा कि पित्रोदा या कोई दूसरा नेता यदि पार्टी के इस विचार से अलग राय रखता है तो वह उसकी निजी राय होगी। हम सभी नेताओं को सलाह देते हैं कि वे बयान देते हुए सावधान और संवेदनशील रहें। भाजपा कांग्रेस नेताओं पर झूठ से हमले कर रही है, क्योंकि वे अपने प्रदर्शन के बारे में नहीं बोल सकते और उनकी भारत को समावेशी विकास तथा सभी के लिए समृद्धि के मामले में आगे बढ़ाने के लिए कोई दृष्टि नहीं है।
 
उन्होंने टिप्पणी को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया व ट्वीट कर कहा कि 1984 में मुश्किल समय में अपने सिख भाइयों-बहनों के दर्द का मुझे अहसास था और उन अत्याचारों के बारे में आज भी महसूस करता हूं, परंतु ये चीजें अतीत की हैं और इस चुनाव में प्रासंगिक नहीं हैं। यह चुनाव इस पर लड़ा जा रहा है कि मोदी सरकार ने 5 वर्षों में क्या किया है? राजीव गांधी और राहुल गांधी कभी भी संप्रदाय के आधार पर लोगों को निशाना नहीं बनाएंगे। 
 
उन्होंने कहा कि सच को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है और झूठ को सोशल मीडिया के जरिए बढ़ा-चढ़ाकर कहा जा रहा है। लोगों को धमकाया जा रहा है, हालांकि सच्चाई हमेशा बनी रहेगी और झूठ उजागर होगा। यह बस वक्त की बात है, धैर्य रखें।
 
केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पित्रोदा ने दंगों के बारे में बहुत ही गैरजिम्मेदार बयान दिया है। कांग्रेस नेताओं- सोनिया गांधी और राहुल गांधी को सैम पित्रोदा के उस गैरजिम्मेदार बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।
 
जावड़ेकर ने कहा कि राहुल गांधी के मार्गदर्शक और राजीव गांधी के साथी पित्रोदा ने बहुत ही निंदनीय बयान दिया है। आज उन्होंने एक और खतरनाक बयान दिया है। वे कहते हैं कि मैं सिख समुदाय के दर्द को समझ सकता हूं, लेकिन यह आज प्रासंगिक नहीं है। 
 
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पित्रोदा ने इस त्रासदी के पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़का है। सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से पूछा कि क्या वे इस अशोभनीय टिप्पणी के बाद भी कांग्रेस में बने रहेंगे?
 
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने दिल्ली में दंगों की एक गवाह निरप्रीत कौर की मौजूदगी में कहा कि पित्रोदा द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा की तुलना राजीव गांधी द्वारा नरसंहार के बाद दिए गए उस असंवेदनशील, अमानवीय टिप्पणी से हो सकती है कि 'जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, धरती हिलती है।' पित्रोदा की टिप्पणी के खिलाफ भाजपा और अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने अमृतसर में प्रदर्शन किया। 

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