मोदी की केदारनाथ यात्रा, कांग्रेस ने लगाया यह गंभीर आरोप...

शनिवार, 21 अक्टूबर 2017 (07:40 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी केदारनाथ यात्रा के दौरान परंपराओं का अनादर करने तथा 2013 की बाढ़ के बाद मंदिर के पुनर्निर्माण कार्य के बारे में लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। पार्टी ने दावा किया कि उनकी यात्रा की योजना गुजरात चुनाव को ध्यान में रखकर बनाई गई थी और यह उनके अभिमान को परलक्षित करता है। 
 
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जब वह लोगों को संबोधित कर रहे थे, उस समय उनकी पीठ भगवान शिव के मंदिर की ओर थी और वह इतालवी चश्मा पहने हुए थे।
 
पार्टी ने कहा कि मोदी ने मां गंगा को तभी याद किया जब वह वाराणसी से चुनाव लड़ रहे थे और अब वह गुजरात चुनाव के पहले भगवान शिव के मंदिर गए।
 
कांग्रेस के संचार विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ऐमोदी जी ने केदारनाथ के मुख्य प्रवेश के ठीक बाहर मंच बनाकर तथा भगवान शिव की तरफ पीठ कर भाषण देकर हमारी परंपरा और संस्कृति का अनादर किया है।'
 
उन्होंने यह भी कहा, 'भगवान शिव के सामने झूठ बोलना। मोदी जी आप लोगों को यह बताना भूल गए कि केंद्र की कांग्रेस सरकार ने 2013 में केदारनाथ के लिए 6,000 करोड़ रुपए का पैकेज दिया था।'
 
कांग्रेस प्रवक्ता आर पी एन सिंह ने दावा किया कि केदारनाथ के पुनर्विकास के लिए कुछ भी करने या 2013 की बाढ़ के दौरान लोगों को बचाने का गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में मोदी का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
 
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 2013 में मंदिर के पुननिर्माण के लिए कांग्रेस सरकार द्वारा अनुमति नहीं दिए जाने के मोदी के दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केदारनाथ में उनके संबोधन में अहंकार झलक रहा था।'
 
प्रधानमंत्री पर राज्य के लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि जब वह हादसा हुआ था, केंद्र की तत्कालीन संप्रग सरकार ने पुनर्वास कार्य के लिए एक समिति गठित की थी और 8,000 करोड़ रुपए राहत के लिए मंजूर किए थे।
 
संवाददाताओं से बातचीत करते हुए सिंह ने दावा किया कि उसी समय 2200 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए थे और पिछले तीन साल में मोदी सरकार द्वारा एक पैसा भी नहीं जारी किया गया।
 
सुरजेवाला ने मोदी से अवसरवाद की राजनीति से दूर रहने का आग्रह किया और गुजरात चुनावों के दौरान मत हासिल करने के लिए धार्मिक भावनाएं भड़काने और ध्रुवीकरण के प्रयास करने का आरोप लगाया।
 
उन्होंने कहा कि जब कोई शासक अभिमानी हो जाता है तो उसका पतन नजदीक आ जाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह राज्य के लोगों का अनादर नहीं करें और कहा कि भगवान शिव किसी से मदद नहीं मांगते बल्कि श्रद्धा मांगते हैं। (भाषा) 
 

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