प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य भाजपाई नेता 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद से ही भारत को कांग्रेसमुक्त बनाने की बात कहते आ रहे हैं। लोकसभा से विधानसभा चुनावों तक पंजाब को छोड़कर हर बार कांग्रेस को शिकस्त देने वाली भाजपा और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपने भाषणों, संबोधनों में कांग्रेसमुक्त भारत की 'भविष्यवाणी' करते आए हैं।
अब जब लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक वर्ष रह गया है और कर्नाटक में जोड़तोड़ के बाद भाजपा ने पूर्ण बहुमत न मिलने पर भी सरकार बना ही ली। यानी यहां भी कांग्रेस ने मुंह की खाई है, वह तब जब कांग्रेस की कमान युवा राहुल गांधी के हाथ में है।
अगर वर्तमान की बात करें तो देश के 21 राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकारें हैं, जबकि कांग्रेस की सत्ता महज 2 दो राज्यों में एक केन्द्र शासित प्रदेश तक सिमट कर रह गई है। अगर जनसंख्या के आधार पर बात करें तो देश की करीब 69 फीसदी आबादी पर भाजपा और उसके सहयोगियों का राज है, वहीं कांग्रेस की पहुंच केवल 2.5 फीसदी आबादी तक रह गई है।
हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी कि भारत कांग्रेस मुक्त होने जा रहा है, लेकिन कांग्रेस की खस्ता हालत को देखते हुए इस तरह के सवाल तो उठने ही लगे हैं कि क्या कांग्रेस भारत में खत्म हो रही है। इस साल के अंत में तीन हिन्दी भाषी राज्यों में होने वाले चुनावों में भी यही स्थिति रही तो यह सवाल सिर्फ सवाल नहीं बल्कि हकीकत बन जाएगा।