Parliament news : कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने गुरुवार को केंद्र सरकार की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से करते हुए आरोप लगाया कि यह पहले सत्ता में आई और उसके बाद सत्ता के माध्यम से अपने करीबी उद्योगपतियों का कब्जा सरकारी संपत्तियों पर करा रही है। ALSO READ: स्पीकर ने कहा- पप्पू यादव जी बैठ जाइए... और सदन में लगने लगे ठहाके
लोकसभा में वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए जालंधर से सांसद और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चन्नी ने यह आरोप भी लगाया कि इस बजट में सरकार बचाने की फिक्र दिखाई देती है और यह देश बचाने वाला नहीं, बल्कि सरकार बचाने वाला बजट है।
उन्होंने कहा कि बजट से साबित हो गया कि यह सरकार देश के सभी नागरिकों को समान नजर से नहीं देखती, बल्कि राजनीतिक चश्मे से देखती है।
चन्नी ने बजट में पंजाब और अपने संसदीय क्षेत्र जालंधर के उद्योगों को भी निराश करने का आरोप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार पर लगाया।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि बजट में 14 लाख करोड़ रुपए का कर्ज इस साल लेने की बात कही गई और यदि हर साल सरकार ऐसे ही कर्ज लेती रही तो देश कहां जाएगा। भाजपा के लोग कांग्रेस पर आपातकाल का आरोप लगाते हैं लेकिन आज देश में वित्तीय आपातकाल और अघोषित आपातकाल है।
चन्नी ने दावा कि पिछले दस साल में डॉलर की कीमत 25 रुपए, पेट्रोल की कीमत 23 रुपए और डीजल की कीमत 35 रुपए बढ़ गई है। कांग्रेस नीत संप्रग सरकार में डॉलर का मूल्य केवल 13 रुपए बढ़ा था। ALSO READ: स्पीकर बिरला क्यों हुए नाराज, कहा पैसा संसद को देना पड़ता है
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि 2014 में सरकार में आने से पहले मोदी रुपए की कीमत गिरने पर सरकार कमजोर होने, प्रधानमंत्री कमजोर होने की बात करते थे। आज बताएं कि रुपए की कीमत गिर रही है तो क्या सरकार कमजोर नहीं हो रही, प्रधानमंत्री कमजोर नहीं हो रहे।
चन्नी ने देश में निजीकरण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि आप (सरकार) देश की संपत्ति के संरक्षक हैं, मालिक नहीं। इसे बेचने की और देश को बर्बाद करने की गलती मत करो। देश के कई हवाई अड्डों को निजी कंपनियों के हवाले कर दिया गया है और सरकारी क्षेत्र की विमानन कंपनी को भी एक निजी कंपनी के हाथों बेच दिया गया है। और क्या क्या बेचोगे?
केंद्र सरकार की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से करते हुए चन्नी ने आरोप लगाया, इनमें (सत्तापक्ष) और अंग्रेजों में कोई फर्क नहीं है, सिर्फ रंग का फर्क है। पहले ये सत्ता में काबिज हुए और फिर सत्ता के रास्ते ये देश के उद्योगों पर अपने लोगों का कब्जा करा रहे हैं।