एक आधिकारिक बयान में दिल्ली पुलिस ने कहा कि विभिन्न हित समूह सोशल मीडिया मंच और अन्य ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग कर दंगे के मामलों की जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं कि सीएए का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और छात्रों को 'फर्जी मामलों' में फंसाया जा रहा है।