सूत्रों के अनुसार इस मुद्दे पर गुरुवार को राजधानी दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक में इसकी चर्चा भी हुई। इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि सहित वित्त व गृह मंत्रालय के कई शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। इस कदम का समर्थन करते हुए गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि ज्यादातर विकसित देश अपने करेंसी नोटों में सुरक्षा फीचर हर 3-4 साल में थोड़े बदल देते हैं। भारत के लिए इस नीति का पालन करना अनिवार्य है.
भारतीय नोटों के डिजाइन में बदलाव लंबे समय से बहुत ही लंबित है। वर्ष 2000 में 1000 रुपए का नोट पेश किया गया था और उसके बाद नोटबंदी तक उसमें कोई भी खास बदलाव नहीं किया गया, वहीं 1987 में 500 रुपए का नोट भी पेश किया और उसमें बदलाव एक दशक पहले ही किया गया था।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने काले धन तथा जाली नोटों की समस्या पर लगाम लगाने के लिए बीते साल 8 नवंबर को देशभर में नोटबंदी का फैसला लिया था। इसमें 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट का चलन बंद भी कर दिया गया था। इसके साथ 500 और 2000 रुपए के नए नोट जारी किए गए थे। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि नए करेंसी नोटों में भी अतिरिक्त सुरक्षा फीचर भी नहीं हैं। हाल ही में पकड़े गए जाली नोटों में पाया गया है कि 17 सुरक्षा फीचर में से कम से कम 11 की नकल हो गई है।