आर्गेनाइजर के संपादकीय में कहा गया, 'दुर्भाग्यवश राजनीतिक रूप से उलटे लटके लोग नहीं समझ पाएंगे कि शीष्रासन अस्वाभाविक जीवनशैली से पार पाने का एक अप्राकृतिक तरीका है। उसे निश्चित समय से अधिक करने और वह भी अवैज्ञानिक तरीके से करने से कई दुष्परिणाम हो सकते हैं।'
इसमें कहा गया, 'हठयोग के धर्मनिरपेक्ष एवं साम्यवादी अभ्यासकर्ता इस बात को समझने को तैयार नहीं है कि यह न तो भाजपा के बारे में है और न मोदी के बारे में। यह पूरी तरह से भारत के बारे में है तथा एक सांस्कृतिक विरासत है जो स्वाभाविक रूप से हिन्दू है।'
संपादकीय के अनुसार, 'यदि उन्होंने इसे गलत आसन करके समाप्त करने की कोशिश की तो उन्हें यही परिणाम भुगतना पड़ेगा कि उनका राजनीतिक खात्मा हो जाएगा। इस बात को वे जितना जल्द समझ जाए, उतना ही उनके लिए बेहतर होगा। साथ ही उनके राजनीतिक स्वास्थ्य एवं अस्तित्व के लिए भी बेहतर होगा।'