केंद्र सरकार के 500 और 1000 के नोटबंद करने के बाद देशभर में अफरा-तफरी का माहौल है। लोग सुबह से लेकर शाम तक बैंकों की लाइनों में लगकर नोट बदलवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। विमुद्रीकरण के दौर में लाइनों और दहशत में होती मौतें भी सरकार के लिए चिंता का कारण बनी हुई हैं। सरकार इन परेशानियों से मुक्ति के लिए दावे कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर वे पर नजर नहीं आ रहे हैं। 6 राज्यों में 8 विधानसभा और 4 लोकसभा उपचुनाव होने वाले हैं। 19 नवम्बर को मतदान है जबकि 22 नवम्बर को इनके नतीजे आएंगे। इसके बाद ही पता चलेगा कि जनता नोटबंदी के फैसले से कितनी खुश है या फिर कितनी नाराज...
मोदी सरकार पर फिलहाल तो चौतरफा हमले हो रहे हैं। विपक्ष भी बैंक में नोट बदलवाने और परिस्थिति को नहीं संभाल पाने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध रहा है। विमुद्रीकरण के बाद सरकार रोज नए-नए आदेश सुना रही है। नरेन्द्र मोदी नोट पाबंदी के इस फैसले के बाद जनता के सामने कितना खरा उतरते हैं, इसका जल्दी ही पता चलने वाला है।
असम की लखीमपुर, मध्यप्रदेश की शहडोल, पश्चिम बंगाल की कूचबिहार और तमलुक के लोकसभा सीट के अलावा असम, अरुणाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, त्रिपुरा और पुड्डुचेरी में विधानसभा की 8 सीटों पर मतदान होना है। इन सीटों पर 19 नवंबर को मतदान के बाद मतगणना 22 नवंबर को होगी।
तमलुक सीट से तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुवेन्दु अधिकारी, नंदीग्राम विधानसभा सीट से विधायक चुनकर मंत्री बन गए। इस कारण यहां उपचुनाव होने हैं। मध्यप्रदेश में शहडोल लोकसभा (सुरक्षित) और नेपानगर विधानसभा (सुरक्षित) सीटों 19 नवंबर को मतदान होने वाला है।
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि ये उपचुनाव अहम हैं। यदि इनमें से किसी एक सीट पर भी भाजपा हारती है तो यह समझा जाएगा कि केन्द्र सरकार का नोटबंदी निर्णय आम लोगों को पसंद नहीं आया है। हालांकि भाजपा नेताओं का मानना है कि इन सीटों पर नोटबंदी का कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे कि कालाधन पर नकेल कसने की मोदी की यह मुहिम कितना रंग लाई है।