क्या हमारा सिस्टम इतना मजबूत है कि इन सबको पकड़ लेगा? किसी को भी नहीं बख़्शेगा?
ये बताइए कि - रिश्वत और भ्रष्टाचार को छोड़ दीजिए, पर अपनी मेहनत से कमाए पैसों को भी आदमी घोषित करना और बैंक में क्यों रखना नहीं चाहता? – एक तो सब ख़ुद ही रखना चाहता है, दूसरे उसको भरोसा नहीं है इस व्यवस्था पर! वो जमा करेगा तो भी किसी भ्रष्ट नेता के ही काम आएगा... मैं बाज़ार में खर्च करूँगा तो अर्थव्यवस्था के ही काम आएगा, बाज़ार में पैसा रहेगा।