भारत में बिजली संकट की Inside Story, कैसे साल दर साल बढ़ रही मांग, कैसे कोयले की कमी से देश में गहरा रहा ‘अंधेरे का खतरा’

कोयले का अकाल, झुलसती गर्मी और बिजली की मांग। नतीजा यह है कि देश के 12 राज्‍य बिजली कटौती से जूझ सकते हैं। अखिल भारतीय बिजली इंजीनियर महासंघ (AIPEF) ने हाल ही में चेतावनी दी कि तापीय बिजली घरों को चलाने के लिए 12 राज्यों में ‘कोयले के कम भंडार’ की स्थिति की वजह से बिजली संकट पैदा हो सकता है।

यह सिर्फ एक अनुमान है, अगर सचमुच बिजली के संकट ने अपना असल चेहरा दिखाया तो स्‍थिति इससे भी ज्‍यादा भयावह हो सकती है। 12 राज्‍यों के अलावा दूसरे राज्‍यों में भी ‘अंधेरे का खतरा’ मंडरा सकता है।

आइए समझते हैं क्‍या है कोयला का संकट, कैसे बिजली का प्रोडक्‍शन घट रहा है, कैसे कोयले की कमी हो रही है और कैसे देश के कुछ हिस्‍से अंधकार छाने की कगार पर पहुंच सकते हैं। इसके साथ ही समझते हैं कैसे साल दर साल बिजली की मांग बढ़ रही है।

सबसे पहले जानते हैं उन राज्‍यों के बारे में जहां बिजली संकट गहरा सकता है।

देश के इन 12 राज्‍यों में गहरा सकता है अंधेरा
दरअसल, बिजली संयंत्रों को चलाने के लिए विभाग ने जरूरी कोयला भंडार में कमी की तरफ केंद्र एवं राज्यों की सरकारों का ध्यान खींचा है। उन्‍होंने चेतावनी दी है कि 12 राज्यों में बिजली संकट पैदा होने का खतरा मंडरा सकता है। जिन राज्‍यों में यह स्‍थिति हो सकती है, उनमें हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्‍थान, आंध्रप्रदेश, मध्‍यप्रदेश, झारखंड, बिहार, महाराष्‍ट्र, गुजरात, कर्नाटक, उत्‍तराखंड शामिल हैं।

क्‍या है बिजली संकट के कारण...?

बिजली प्रोडक्‍शन, कोयले पर निर्भरता
दरअसल, भारत में टोटल बिजली प्रोडक्शन का 70 प्रतिशत हिस्सा कोयले के जरिए ही होता है। ऐसे में कोयला कमी की वजह ज्यादा बिजली की मांग होना है।

रिपोर्ट की मानें तो 2021 में हर महीने बिजली की मांग 124.2 बिलियन यूनिट थी। अब 2022 में गर्मी आते ही बढ़कर 132 बिलियन यूनिट हो गई है। कोल मैनेजमेंट टीम (CMT) ने पावर प्लांट में कोयले की कमी होने की कुछ खास वजहें गिनाई हैं।

ये हैं कोयले की कमी की वजहें
रूस-यूक्रेन जंग की वजह से कोयले के दाम में इजाफा हुआ है। ऐसे में सरकार ने रूस और दूसरे देशों से कोयले की आपूर्ति कम की है।

जनवरी 2022 से अप्रैल 2022 के दौरान कोयले का कुल आयात 173.20 मिलियन टन हो गया है। वित्तीय वर्ष 2020 के दौरान इन्हीं 4 महीनों में कोयला आयात 207.235 मिलियन टन था। इस तरह इस साल कोयले के कुल आयात में लगभग 16.42% की कमी हुई है।

सप्लाई चेन बेहतर नहीं होने की वजह से गर्मी आते ही अचानक से कोयले की मांग बढ़ी तो आपूर्ति में कमी हुई। इसका परिणाम ये हुआ कि पावर प्लांट में कोयले की कमी हो गई है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने पावर प्लांट में कोयले की सप्लाई के लिए रेलवे कैरेज की संख्या बढ़ाने की बात कही है।

चीन के पोर्ट पर फंसा भारत का कोयला
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का 20 लाख टन कोयला चीन के पोर्ट पर महीनों से फंसा हुआ है। यह कोयला भारत ने ऑस्ट्रेलिया से मंगवाया था। अपनी ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए भारत को इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से भी कोयले का आयात करना पड़ता है। भारत में कुल आयातित होने वाले कोयले का 70 फीसदी ऑस्ट्रेलिया से आता है। दक्षिण भारत के बिजलीघर, झारखंड या छत्तीसगढ़ से कोयला मंगाने के बजाय ऑस्ट्रेलिया से कोयला मंगाते हैं। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोल इंपोर्टर है, जबकि इसके पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोल रिजर्व है।

मौसम भी कोयले की किल्‍लत की एक वजह
कोयले की किल्लत की एक बड़ी वजह मौसम भी है। पूर्वी और मध्य भारत में मानसून सीजन की बारिश की वजह से देश में कोयला खदानों में पानी भरा हुआ है। इसकी वजह से कोयले का खनन नहीं हो पा रहा है और प्रॉडक्शन को नुकसान हो रहा है। इसके अलावा ट्रान्सपोर्ट के रूट भी प्रभावित हुए हैं। देश में कुल कोयला डिमांड का 70 फीसदी भारत के कोयला रिजर्व या प्रॉडक्शन से पूरा होता है। देश में करीब 300 अरब टन कोयले का भंडार है।

मार्च में बढ़ा बिजली प्रोडक्‍शन
हालांकि मार्च महीने में बिजली का प्रोडक्‍शन कुछ बढा है। कोयला आधारित बिजलीघरों का उत्पादन मार्च महीने में सालाना आधार पर 3.12 प्रतिशत बढ़कर 10,027.6 करोड़ यूनिट रहा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, तापीय बिजलीघरों से विद्युत उत्पादन एक साल पहले इसी महीने में 9,723.8 करोड़ यूनिट था। इस साल फरवरी में यह 8,553.4 करोड़ यूनिट था।

ऐसे साल दर साल बढ़ रही बिजली की मांग बता दें कि साल दर साल बिजली की मांग बढने से देश के 100 पावर प्‍लांट में 25 प्रतिशत से कम कोयला बचा है। उल्‍लेखनीय है कि बिजली बनाने के लिए दुनिया में चीन के बाद सबसे ज्‍यादा कोयले का इस्‍तेमाल भारत में होता है।


क्‍या सरकार के पास है कोई प्‍लान’?
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने पावर प्लांट में कोयले की हो रही कमी को देखते हुए सबसे पहले सप्लाई चेन को बेहतर करने का फैसला किया है। इसके लिए ट्रेनों के जरिए पहले पावर प्लांट में कोयला पहुंचाने की बात कही गई है। प्राइवेट कंपनियों में सिर्फ ट्रकों के जरिए कोयला पहुंचाया जा रहा है।

यही नहीं केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट कर कोयला प्रोडक्शन और सप्लाई को बढ़ाने की बात कही है। पावर प्लांट में कोयले की कमी को देखते हुए 2 मिलियन टन कोयला हर रोज प्रोडक्शन करने की बात कही गई है।

कोल इंडिया ने अपने बयान में कहा है कि 2021 में 1.43 मिलियन टन कोयले का हर रोज प्रोडक्शन होता था, जिसे अब बढ़ाकर प्रतिदिन 1.64 मिलियन टन किया गया है।

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