हाफिद सईद के निर्देश पर काम करता था हेडली

सोमवार, 8 फ़रवरी 2016 (17:55 IST)
मुंबई। मुंबई आतंकवादी हमले के दोषी डेविड कोलमैन हेडली ने सोमवार को बहुत बड़ा खुलासा किया कि वह हाफिज सईद के निर्देश पर ही काम करता था और इस हमले से पहले दो बार और आतंकवादी हमले को अंजाम देने की कोशिश की गई थी लेकिन किसी न किसी वजह से ये दोनों नाकाम हो गईं। 
हेडली ने अमेरिका की एक जेल से मुंबई की विशेष अदालत को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिए गए बयान में स्वीकार किया कि वह हाफिज सईद के कहने पर आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य मीर साजिद से मिला था। साजिद मीर के कहने पर उसने भारत में घुसने के लिए अपना नाम दाऊद गिलानी से बदलकर डेविड हेडली रखा था और उसके कहने पर वह मुंबई में 7 बार हमले की रेकी करने आया था।
 
हेडली ने साथ यह भी खुलासा किया कि मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले से पहले भी 2 बार हमले का प्रयास किया गया था। पहली कोशिश सितंबर 2008 में की गई थी लेकिन जिस नाव में आतंकवादी बैठे थे, वह डूब गई। इसके बाद अक्टूबर 2008 में भी हमले की कोशिश नाकाम हो गई थी। दोनों बार असफल रहीं कोशिशों में भी वही 10 आतंकवादी शामिल थे जिन्होंने 26/11 के हमले को अंजाम दिया।
 
हेडली ने बताया कि पाकिस्तान में आतंकवादी प्रशिक्षण के दौरान उसकी मुलाकात हाफिज सईद से हुई थी और वह उसके भाषण से बहुत अधिक प्रभावित हुआ था। उसने अदालत को बताया कि हाफिज सईद और साजिद मीर आदि चाहते थे कि वह भारत में ही रहे और वहां कोई व्यापार करे ताकि वहां से आतंकवादियों को मदद दी जा सके।
 
हेडली के वकील महेश जेठमलानी ने अदालत के बाहर बताया कि अदालत के समक्ष भारतीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने लगभग सोमवार को 50 प्रश्न हेडली से पूछे थे। इन्हीं के जवाबों में हेडली ने स्वीकार किया कि वह 26/11 के हमले के पूर्व मुंबई में 7 बार जा चुका था। 
 
हेडली मुंबई हमले में दोषी करार दिया गया है और वह अमेरिका में 35 साल की जेल की सजा काट रहा है। उल्लेखनीय है कि हेडली की सोमवार को पहली बार मुंबई की एक अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही शुरू हो गई है। उसे मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में सरकारी गवाह बनाया गया है। अदालत में फिलहाल मुख्य साजिशकर्ता सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जिंदाल पर मुकदमा चल रहा है।
 
हेडली ने साथ ही मुंबई हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी की संलिप्तता की ओर भी इशारा किया है। उसने अदालत को बताया कि 2006 में वह पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था, जहां मेजर अली नाम के एक अधिकारी ने उससे पूछताछ की और उसने ही उसे रिहा कर दिया। मेजर अली ने ही आईएसआई के अधिकारी मेजर इकबाल से हेडली का परिचय कराया। 
 
हेडली ने अदालत को बताया कि पहले वह भारतीय सेना के खिलाफ लड़ने के लिए कश्मीर जाना चाहता था लेकिन जकीर उर रहमान लखवी ने उसे वहां भेजने से मना कर दिया। उसने कहा कि आतंकवादियों का कहना था कि भारतीय इस्लाम के दुश्मन हैं। उसने जांच एजेंसी द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि डॉक्टर तहव्वुर हुसैन राणा ने स्कूल में उसके साथ 5 वर्ष तक पढ़ाई की थी।
 
बाद में राणा पाकिस्तानी फौज का रावलपिंडी में डॉक्टर बन गया और उसने उसे भारत का वीजा दिलाने में मदद की। उसने यह भी बताया कि मेजर अली सोचता था कि वह भारत से सूचना देने में उनके लिए फायदेमंद रहेगा। डेविड और अवकाश प्राप्त मेजर अब्दुर रहमान पासा पाकिस्तान-अफगान सीमा पर विदेशी जैसे दिखने के कारण गिरफ्तार कर लिए गए थे।
 
हेडली ने बताया कि उसके पास दो पासपोर्ट थे। उसका एक पासपोर्ट दाऊद गिलानी के नाम पर था जिसे उसने अमेरिकी अधिकारियों को डेविड हेडली के नाम पर नया पासपोर्ट बनाने के लिए दे दिया। भारत में घुसने के लिए मीर साजिद ने उसे अपना नाम बदलने की सलाह दी थी और 2005 में उसने अपना नाम डेविड कोलमैन हेडली रख लिया। नया पासपोर्ट मिलने पर वह पाकिस्तान गया, जहां उसे मुंबई की रेकी करने और वहां एक कार्यालय खोलने का काम सौंपा गया।
 
हेडली ने बताया कि पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में एक आतंकवादी प्रशिक्षण के दौरान उसकी मुलाकात हाफिज सईद से हुई थी। हेडली ने बताया कि उसका बचपन पाकिस्तान में बीता और उसकी पढ़ाई पाकिस्तानी आर्मी स्कूल में हुई थी, तब उसका नाम दाऊद गिलानी था।
 
उसने यह भी कहा कि वह आतंकवादी हमले के बाद 7 मार्च 2009 को भारत आया था। हेडली ने बताया कि वह भारत में 8 बार आया जिसमें 7 बार वह मुंबई आया और यहां की रेकी की तथा नक्शा बनाकर पाकिस्तान में भेज दिया।
 
डेविड को पाकिस्तान जाने के समय अक्टूबर 2009 को शिकागो में गिरफ्तार किया गया था और मुंबई हमले के मामले में अमेरिका की एक अदालत ने उसे 2013 में दोषी करार देते हुए 35 साल की सजा सुनाई। फिलहाल 55 वर्षीय हेडली अमेरिकी जेल में है। 
 
10 दिसंबर 2015 को डेविड ने सरकारी गवाह बनना स्वीकार किया था और उसे 8 फरवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विशेष अदालत के समक्ष अपना बयान दर्ज कराना था और उसी आदेश के तहत हेडली ने सोमवार सुबह ही विशेष अदालत के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया।
 
गौरतलब है कि मुंबई में 26/11 को हुए आतंकवादी हमले में 167 लोग मारे गए थे और 309 से अधिक लोग घायल हो गए थे। गवाही शुरू होने के पूर्व आतंकवादी जिंदाल के वकील ने गवाही का विरोध किया जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। 
 
बयान के दौरान अदालत ने हेडली के वकील महेश जेठमलानी तथा अन्य अमेरिकी अधिकारी भी उपस्थित थे। बाद में जिंदाल के वकील ने भी प्रश्न पूछने की इजाजत मांगी। (वार्ता) 

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