Deadly flesh eating bacteria outbreak sweeps Japan : कोरोना वायरस (Corona Virus) ने पूरी दुनिया में कहर मचाया था, लेकिन अब एक नया बैक्टीरिया कहर बरपा रहा है। इसमें 48 घंटे में मरीज की मौत हो जाती है। इस बीमारी का नाम स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) है। जापान में एसटीएएस के 900 से अधिक मामले आ चुके हैं। योरप में भी इस बीमारी के मामले सामने आए हैं। हालांकि यह बात भी सामने आई है कि मछली खाने वाले लोगों में यह बीमारी देखी गई है। हालांकि भारत में इस तरह के वायरस से संक्रमित होने की खबर सामने नहीं आई है।
मांस खाने वालों को अधिक खतरा : दुर्लभ और संभावित रूप से घातक "मांस खाने वाले बैक्टीरिया" रोग, जिसे स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) के रूप में जाना जाता है, कोविड-युग के प्रतिबंधों के हटने के बाद जापान में तेजी से फैल रहा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ इन्फेक्शियस डिजीज के मुताबिक जापान में इस साल 2 जून तक STSS के 977 मामले दर्ज किए गए हैं, जो पहले से ही पिछले पूरे साल में दर्ज किए गए कुल 941 मामलों को पार कर चुके हैं।
क्या हैं लक्षण : STSS ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस (GAS) के कुछ उपभेदों के कारण होता है। 50 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के लोगों को इससे अधिक खतरा रहता है। इसके कारण आमतौर पर बच्चों में सूजन और गले में खराश जैसे कम गंभीर लक्षण होते हैं। हालांकि STSS से जुड़े अधिक विषैले उपभेद जल्दी से गंभीर चिकित्सा जटिलताओं का कारण बन सकते हैं जिनमें अंग दर्द, सूजन, बुखार, निम्न रक्तचाप, ऊतक परिगलन, श्वसन संकट, अंग विफलता और मौत तक हो सकती है।
कैसे होती है पहचान : इस बीमारी के लिए अभी कोई टेस्ट नहीं बना है। एसटीएसएस की पहचान करने के लिए कोई एक निर्धारित टेस्ट नहीं है। अगर संक्रमण वाले इलाके में मरीज को यह तीन लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर मरीज का ब्लड सैंपल लेकर कई तरह की जांच करते हैं। इनमें बीपी लो और अगर किसी व्यक्ति के एक से ज्यादा अंगों में समस्या है तो उसकी जांच की जाती है।