नोटबंदी के बाद अगर आप नए नोट के बारे में यह सोच रहे हैं कि वे उतनी ही संख्या में होंगे, जितने की पुराने नोट थे तो आपकी यह सोच गलत हो सकती है। अगर आप सोच रहे हैंं कि अपने पर्स को पहले की तरह (नोटबंदी से पहले) नोटों से भर सकते हैंं तो इस विचार को छोड़ने में ही समझदारी है। भारत सरकार और आरबीआई आपको पहले जैसा अनुभव और आदतें नहीं देना चाहते।
नोटबंदी से 86 प्रतिशत नोट अमान्य कर दिए गए हैं और अगर आप यह सोचते हैं कि नए नोट इसी प्रतिशत में जारी किए जाएंगे तो आपको यह जान लेना चाहिए कि आरबीआई का ऐसा कोई विचार नहीं है। नए नोट उतनी संख्या में नहीं आएंगे, जितनी संख्यां में पुराने नोट चलन से बाहर किए गए हैं।
अगर आप जानना चाहते हैं कि आरबीआई आपको कितना कैश देना चाहता है तो आपको सिर्फ 23 जून के एक पेपर, जिसका शीर्षक था 'पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम इन इंडिया : विज़न-2018', को देखना है। आरबीआई का इरादा समाज के हर तबके में इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट को बहुत अधिक बढ़ावा देना है, जिससे एक केशलेस सोसाइटी पाई जा सके।
भारत की नोट पर आधारित इकोनॉमी, 12 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद के साथ, असामान्य थी। इससे न सिर्फ भारत में भ्रष्टाचार बल्कि लगभग सभी के द्वारा अक्सर टैक्स से बचने की कोशिश झलकती थी। वहीं जब मलेशिया की 8 %, यूएस की 7.8 % और मैक्सिको की 6.7 % ही है।
नोटबंदी के बाद भारत की नई इकोनॉमी क्या होगी? यह उस दिन ही पता चलेगा जब आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल अपनी चुप्पी तोड़ इस बारे में बताएंगे। इस बारे में कुछ अनुमान इसके 8.5-9 % रहने के हैं, जिसमें आगे गिरावट दर्ज की जाएगी।