महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे होंगे नए मुख्यमंत्री, बड़ा सवाल भाजपा में शामिल होगा बागी गुट या शिवसेना पर भी होगा कब्जा?

विकास सिंह

गुरुवार, 30 जून 2022 (17:00 IST)
महाराष्ट्र की सियासत में बीते 10 दिन से मचे सियासी भूचाल के बाद निकलकर सामने आई यह तस्वीर बता रही है कि सूबे की सियासत में बीते 10 दिन से मचे सियासी नाटक की स्क्रिप्ट किसने और किस तरह तैयार की थी। हाथों में गुलदस्ता लिए देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे की तस्वीर महाराष्ट्र में एक नए इतिहास का गवाह बनी।

शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री होंगे। इस बात की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस के साथ राजभवन पहुंचकर नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। एकनाथ शिंदे आज शाम 7.30 बजे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
 
शिवसेना का बागी गुट भाजपा मे होगा शामिल?-एकनाथ शिंदे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। बगावत के पहले दिन से ही एकनाथ शिंदे खुद के गुट को असली शिवसेना बता रहे है। खुद को बाला साहेब का असली शिवसैनिक बताने वाले एकनाथ शिंदे शिवसेना बालासाहेब के नाम से नया गुट बनाते हुए पार्टी के सिंबल पर भी अपना दावा ठोंक दिया है।

वह बाला साहेब के हिंदुत्व को आगे ले जाने की बात कह रहे है। वहीं उद्धव ठाकरे का खुद को असली शिवसेना बता रहे है और उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर बाला साहेब और शिवसेना का नाम नहीं इस्तेमाल करने को कहा है।

असली शिवसेना कौन है इसका फैसला भले ही चुनाव आयोग से हो लेकिन अगर बागी गुट को शिवसेना का सिंबल नहीं मिलता है तो आने वाले समय बागी गुट भाजपा मेंं शामिल हो सकता है, इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 40 विधायकों के साथ का दावा कर दलबदल कानून से बचने का दांव खेल ही दिया है। 
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ऑपरेशन लोट्स BJP के लिए सत्ता में आने का ट्रंप कार्ड-महाराष्ट्र में भले ही भाजपा का मुख्यमंत्री  नहीं बनी हो लेकिन ऑपरेशन लोट्स से भाजपा ने एक बार फिर सत्ता में वापसी कर ली है। एकनाथ शिंदे की शिवसेना से बगावत को भी ऑपरेशन लोट्स की बड़ी सफलता माना गया है।

देश की सियासत में बीते कुछ वर्षो से ऑपरेशन लोट्स भाजपा के लिए सत्ता हासिल करने का ट्रंप कार्ड बन गया है। आंकड़ों को देखे तो महाराष्ट्र के साथ बीते 6 सालों में 6 राज्यों में भाजपा ने ऑपरेशन लोट्स से सत्ता में वापसी की है। 
 
मध्यप्रदेश में की सत्ता में वापसी- महाराष्ट्र से पहले मार्च 2020 में ऑपरेशन लोट्स से भाजपा ने मध्यप्रदेश में सत्ता में वापसी की थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनाने के बाद मार्च 2020 में मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायक एक साथ भाजपा में शामिल हो गए थे।

कांग्रेस विधायकों के एक साथ पार्टी छोड़ने से मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी और कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। मध्यप्रदेश में ऑपरेशन लोट्स से भाजपा ने सत्ता में वापसी की और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी। 

कर्नाटक में खिला था ‘कमल’-2019 में कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार भी ऑपरेशन लोट्स का शिकार बनी थी। कांग्रेस और जेडीएस विधायकों के दलबदल के चलते कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन वाली कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था और वहां भाजपा की सत्ता में वापसी हुई। कांग्रेस और जेडीएस दोनों ने भाजपा पर सरकार गिराने के लिए ऑपरेशन लोट्स चलाने का आरोप लगाया था। 

मणिपुर में भाजपा की सरकार-वहीं मणिपुर में 2017 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी कांग्रेस सरकार इसलिए नहीं बना पाई क्योंकि कांग्रेस विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी औऱ भाजपा ने नगा पीपुल्स फ्रंट पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली।
 
गोवा में चुनाव में पिछड़ने के बाद भी सरकार बनाई- इस तरह साल 2017 में गोवा विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी विधायकों की बगावत के चलते सरकार नहीं बना पाई और चुनाव में कांग्रेस से पिछड़ने के बाद भी भाजपा ने सरकार बना ली।

गोवा में 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 और भाजपा को 13 सीटें मिली। 40 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 21 सीटों का मैजिक नंबर भाजपा ने छोटे दलों के साथ मिलकर पूरा कर लिय़ा था। चुनाव में कांग्रेस के सबसे बड़ा दल होने के बाद कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई थी। 
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अरूणाचल में खिला कमल- हार के बाद अरूणाचल प्रदेश में बनाई सरकार-बड़े राज्यों के साथ-साथ छोटे राज्यों में भी ऑपरेशन लोट्स के सहारे भाजपा ने सत्ता में वापसी की थी। अरुणाचल प्रदेश में सितंबर 2016 में कांग्रेस सरकार उस समय गिर गई जब मुख्यमंत्री पेमा खांडू के साथ पार्टी के 44 में 43 विधायक दलबदल कर भाजपा समर्थित फ्रंट में शामिल हो और कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा ने सरकार बना ली थी।

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