महाराष्ट्र में सीएम का नाम तय करने में लगने वाले समय के पीछे कई सारे फैक्टर्स हैं। देश की जीडीपी में मुंबई की हिस्सेदारी से लेकर महाराष्ट्र की राजनीति का गणित हो या वहां से जमा होने वाले राजनीतिक फंड का मुद्दा हो। मराठा राजनीति हो या फिर मुंबई के कॉर्पोरेशन के चुनाव। यह सारे गणित महाराष्ट्र की राजनीति में न सिर्फ दखल रखते हैं, बल्कि असर भी डालते हैं।
महाराष्ट्र की तुलना मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ या राजस्थान से नहीं की जा सकती। ऐसे में वहां सीएम के लिए कोई चौंकाने वाला नाम आ जाएगा इसकी संभावना नहीं के बाराबर है। महाराष्ट्र में मुंबई और नागपुर के वरिष्ठ पत्रकारों और राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सीएम के देवेंद्र फडणवीस का नाम तय है। वे फडणवीस के नाम की मुहर लगा रहे हैं और बता रहे हैं कि क्यों 5 दिसंबर को महाराष्ट्र में फडणवीस की ताजपोशी तय है।
पवार- ठाकरे से सिर्फ फडणवीस निपट सकते हैं : यूएनआई, टीवी9 समेत देशभर के कई मीडिया संस्थानों में काम करने वाले राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हरि गोविंद विश्वकर्मा ने बताया कि देवेंद्र फडणवीस 5 दिसंबर को महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं, इस बात को तय मानिए। महाराष्ट्र की तुलना मध्यप्रदेश, राजस्थान या छत्तीसगढ़ से नहीं की जा सकती कि किसी भी नाम को सीएम के लिए आगे बढ़ा दिया जाए। यहां पर उद्धव ठाकरे और शरद पवार जैसे दिग्गज नेताओं और उनकी राजनीति से अगर निपटना है तो इसके लिए देवेंद्र फडणवीस ही सबसे मुफीद और मजबूत नाम है।
2026 में संघ का स्थापना दिवस :हरि गोविंद विश्वकर्मा ने बताया कि 2026 में संघ अपनी स्थापना का 100वां साल मनाने जा रहा है। जाहिर है इस आयोजन में बीजेपी का ही सीएम होगा, कोई और तो हो नहीं सकता। क्योंकि यहां बीजेपी के नेता संघ के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। जहां तक इसमें हो रही देरी का सवाल है तो इस पूरी प्रक्रिया में बीजेपी का हाईकमान काम करता है, जबकि बाकी दलों में नेता ही हाई कमान है। यहां विधायकों की बैठक होती है पूरा प्रोसिजर फॉलो किया जाता है पार्टी में। महाराष्ट्र में मप्र, छग और राजस्थान जैसी स्थिति नहीं है। यहां कई तरह के फैक्टर्स काम करते हैं।
क्रिमी पोर्टफोलियों की बात है : वरिष्ठ पत्रकार प्रीति सोमपुरा ने वेबदुनिया को बताया कि सरकार बनाने के लिए तीनों दलों का साथ में होना जरूरी है। बाहर जो यह अफवाह चल रही थी कि बीजेपी इन दोनों दलों के बगैर अकेली जा सकती है, यह गलत था। क्योंकि तीनों दलों का साथ में होना या नहीं होना केंद्र में भी यह असर डालेगा। जहां तक सीएम के नाम में देरी का सवाल है तो यह पोर्टफोलियों के बंटवारे को लेकर हो रहा है। शिंदे मान गए हैं लेकिन वे गृह मंत्रालय चाहते थे, लेकिन बीजेपी यह संभव नहीं था कि वो गृह मंत्रालय अपने पास न रखें। ऐसे में अब क्रीमी पोर्टफोलियो के लिए एक विमर्श चल रहा है और अब तक की स्थिति में देवेंद्र फडणवीस का नाम सीएम के लिए तय है।
महाराष्ट्र की राजनीति कई फैक्टर्स पर काम करती है : लोकमत समाचार के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार विकास मिश्र ने चर्चा में वेबदुनिया को बताया कि महाराष्ट्र में मुझे देवेंद्र फडणवीस का नाम तय लग रहा है। कहीं कोई खींचतान नहीं है। जहां तक समय लगने की बात है तो राजनीति में बहुत सारे एंगल, फैक्टर्स होते हैं। बहुत सारी चीजें तय होना होती हैं। जातिगत राजनीति भी एक फैक्टर है। चूंकि तीन दल मिलकर सरकार बनाएंगे तो कई तरह के गणित रहते हैं। हर दल और गणित को साधने में समय लगता है। हां, विभागों के बंटवारे को लेकर कुछ पेंच हो सकता है। गृह मंत्रालय है, डिप्टी सीएम को लेकर विमर्श हो सकता है। जहां तक सीएम को लेकर तीसरे नाम का सवाल है तो मुरलीधर मोहर और मुंबई के लीडर आशीष सेलार का नाम चला था, लेकिन ये दोनों नाम सूची से बाहर हो चुके हैं। मुझे लगता है कि देवेंद्र फडणवीस को लेकर स्थिति स्पष्ट है। कल तक नाम सामने आ जाएगा।
मुंबई कॉर्पोरेशन के चुनाव पर असर : धर्म के विषयों के जानकार और इस विषय को लेकर गहरा अध्ययन करने वाले और कई मीडिया संस्थानों में सेवाएं दे चुके वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि देखिए एकनाथ शिंदे किसी जमाने में ऑटो चलाते थे और वे आनंद दिघे जैसे नेता के चेले रहे हैं, जिनकी महाराष्ट्र में और शिवसेना को लेकर बड़ी भूमिका रही है। शिंदे बेहद कर्मठ और मजबूत नेता हैं। वे मराठा समूह से आते हैं, जो करीब 28 प्रतिशत है। यहां मराठा कोई जाति नहीं बल्कि एक समूह है। हाल ही में आरक्षण के मामले में शिंदे की भूमिका रही है। शिंदे इसलिए सीएम बनना चाहते थे क्योंकि उन्होंने ठाकरे के वोटर्स को प्रभावित किया है। ठाकरे के नेता तो मुस्लिम वोटर्स की वजह से चुनाव जीते हैं। ऐसे में शिंदे का कहना था कि मराठा वोट उन्हें मिले हैं, लाडली बहना योजना भी उन्हीं के सीएम रहते आई। वहीं, जल्द ही मुंबई में कॉर्पोरेशन के चुनाव होना है, ऐसे में उनका तर्क था कि वे सीएम नहीं बनते हैं तो कॉर्पोरेशन पर ठाकरे गुट का कब्जा हो जाएगा। इसलिए वे सीएम और गृह मंत्रालय भी मांग कर रहे थे। हालांकि अब समझौता तकरीबन हो चुका है और फडणवीस का नाम लगभग तय है।
लोग मराठा सीएम चाहते थे : महाराष्ट्र के प्रमुख अखबार सकाल के वरिष्ठ पत्रकार अविष्कार देशमुख ने वेबदुनिया को बताया कि पिछले दिनों जो मराठा आंदोलन हुआ वो भी कहीं न कहीं यह मैसेज देने की एक गतिविधि थी कि कोई मराठा ही सीएम बने। आम लोगों में मराठा चेहरे को सीएम के तौर पर देखने की एक मांग देखी जा रही है। हालांकि इस बीच अगर देवेंद्र फडणवीस सीएम बनते हैं तो उनके लिए बेहद मुश्किल दौर होगा। हालांकि फडणवीस को संघ का समर्थन है, लेकिन महाराष्ट्र पर कर्जा बढ़ा है, लाडली बहन योजना की वजह से महाराष्ट्र पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
दूसरी तरफ 288 में से 46 मंत्री बनाना है, ऐसे में यह बड़ी चुनौती है कि शिंदे को अजीत पवार को और बीजेपी के नेताओं में से कितने मंत्री चुनना है। एकनाथ शिंदे पहले से ही होम मिनिस्टरी की मांग कर रहे हैं। ऐसे में कुछ भी तय नहीं है। कुछ भी हो सकता है। जहां तक नए चेहरे की बात है तो बीजेपी के मुरलीधर मोहर का नाम सुनने में आ रहा है। वे अभी सिविल एविएशन मिनिस्टर हैं और संघ से करीबी माने जाते हैं। इस बीच यह उल्लेखनीय है कि तीसरे चेहरे के तौर पर विनोद तावडे का नाम तकरीबन तय था, लेकिन एक मामले के बाद वे सूची से बाहर हो गए। कुल मिलाकर महाराष्ट्र के राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि देवेंद्र फडणवीस के नाम पर सीएम पद की मुहर तय है।