कांवड़ यात्रा पर कलह, यूपी और उत्तराखंड सरकार के आदेश पर बवाल

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शनिवार, 20 जुलाई 2024 (00:20 IST)
Nameplates are necessary on shops on Kanwar Yatra route: सावन के महीने में होने वाली कावड़ यात्रा से ठीक पहले उत्‍तर प्रदेश की योगी आदित्‍यनाथ सरकार के एक फरमान से बवाल खड़ा हो गया। यही आदेश उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने भी जारी कर दिया है। दरअसल, इन सरकारों ने फरमान जारी किया है कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों पर प्रोप्राइटर के नाम का उल्लेख करना होगा।

ताकि कोई भ्रम न रहे : यूपी में पहले यह आदेश सिर्फ मुजफ्फरनगर जिले के लिए जारी हुआ था, लेकिन बाद में इसे पूरे कांवड़ यात्रा मार्ग के लिए जारी कर दिया गया। इस आदेश के तहत कांवड़ मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेले वालों से अपने मालिकों या फिर वहां काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने को कहा गया है। यह इसलिए जरूरी है, ताकि किसी कांवड़िए के मन में कोई भ्रम न रहे। ALSO READ: Kanwar Yatra 2024 : कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से, 5 करोड़ से अधिक कांवड़ियों के शामिल होने की उम्मीद, जानिए इस बार क्या होगा खास
 
यह फैसला अकेले यूपी में ही नहीं लिया गया है ‍बल्कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने भी इसी तरह का कदम उठाया है। उत्तराखंड सरकार ने भी कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने की दुकान और ढाबा संचालकों से अपने प्रतिष्ठान के बाहर अपना नाम, पता और मोबाइल नंबर लिखने को कहा गया है। 
 
क्यों लिया निर्णय : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह निर्णय कांवड़ यात्रा की तैयारियों की समीक्षा के लिए 12 जुलाई को बुलाई गई बैठक के दिन ही ले लिया गया था। इस निर्णय का उद्देश्य किसी को निशाना बनाने या किसी परेशानी में डालना नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले भी हरिद्वार में हर की पौड़ी पर आपराधिक घटनाएं हो चुकी हैं जब किसी होटल और ढाबा संचालकों द्वारा अपनी वास्तविक पहचान छुपाए जाने के बाद तनाव पैदा हो गया था। उन्होंने कहा कि यह निर्णय ऐसी स्थितियों से बचने के लिए लिया गया है।
 
इससे भी आगे हरिद्वार के एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल ने कहा कि सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले होटल और ढाबा संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कावड़ रूट के लिए जारी इस आदेश के बाद पूरे देश की राजनीति में उबाल आ गया है। विपक्ष तो यूपी और उत्तराखंड सरकारों के आदेश का विरोध कर ही रहा है, एनडीए के घटक दलों ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया है।
 
भाजपा के सहयोगियों का भी विरोध : भाजपा की सहयोगी जेडीयू के प्रवक्‍ता केसी त्‍यागी ने कहा कि इससे पीएम के सबका विश्वास का नारा कमजोर होता है। इस आदेश की समीक्षा होनी चाहिए। उन्होंने कहा- इससे बड़ी यात्रा बिहार में निकलती हैं, वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है। केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भोजनालयों के मालिकों से उनके नाम प्रदर्शित करने संबंधी आदेश का खुलकर विरोध करते हुए कहा है कि वह जाति या धर्म के नाम पर भेद किए जाने का कभी भी समर्थन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा- जब भी जाति या धर्म के नाम पर इस तरह का विभेद होता है, तो मैं न तो इसका समर्थन करता हूं और न ही इसे प्रोत्साहित करता हूं।
संविधान एवं लोकतंत्र पर हमला : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने शुक्रवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के मार्ग में पड़ने वाली दुकानों के मालिकों के नाम लिखने का आदेश विभाजनकारी तथा संविधान एवं लोकतंत्र पर हमला है। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यूपी में कांवड़ यात्रा के मार्ग में दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि वर्ष 2006 में खाने-पीने की चीजों की गुणवत्ता की निगरानी के लिए बने कानून की आड़ लेकर हिंदू-मुस्लिम की राजनीति हो रही है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अनुसार, प्रत्येक रेस्तरां या ढाबा संचालक के लिए फर्म का नाम, अपना नाम और लाइसेंस नंबर लिखना अनिवार्य है।
 
समुदायों के बीच दुश्मनी बढ़ेगी : जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कांवड़ यात्रा के मार्ग में दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि इस अनुचित, पूर्वाग्रह पर आधारित और भेदभावपूर्ण फैसले को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने यह दावा भी किया कि इस फैसले से उन शक्तियों को ताकत मिलेगी जो मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार चाहते हैं। उत्तराखंड के पूर्व मुख्‍यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यूपी और उत्तराखंड सरकारों द्वारा लिया गया यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इससे समुदायों के बीच दुश्मनी बढ़ेगी और देश की बदनामी होगी।
 
क्या कहा नकवी ने : इतना ही नहीं वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कांवड़ यात्रा के मद्देनजर भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए कहा कि आस्था का सम्मान होना चाहिए, पर अस्पृश्यता को संरक्षण नहीं मिलना चाहिए। नकवी ने यह भी कहा कि कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश ‘हड़बड़ी में गड़बड़ी वाली अस्पृश्यता की बीमारी’ को बढ़ावा दे सकते हैं। इस विवाद के बीच फिल्म अभिनेता सोनू सूद की एक पोस्ट काफी वायरल हो रही है, जिसमें सोनू ने कहा कि हर दुकान पर केवल एक नेम प्लेट होनी चाहिए और वो है ह्यूमेनिटी यानी मानवता, इंसानियत। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
 

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