जम्मू। कई महीनों के बाद अंततः नौकरशाह से सियासतदान बने डॉ. शाह फैसल पीएसए से 2 दिन पहले छूट तो गए लेकिन उनके सोशल मीडिया वॉर से घबराकर प्रशासन ने उन्हें अब उनके ही घर में नजरबंद कर दिया है। हालांकि प्रशासन ने उनकी नजरबंदगी के प्रति खामोशी अख्तियार कर ली है।
प्रशासन ने गत बुधवार को उन्हें रिहा तो कर दिया था परंतु अभी भी उन्हें एहतियात के तौर पर घर मेंनजरबंद रखा गया है। करीब दस माह बाद रिहा हुए फैसल के साथ जिन पीडीपी के दो प्रमुख नेता सरताज मदनी और पीरजादा मंसूर को रिहा किया गया था, उन पर भी यह पाबंदी लागू की गई है। घाटी में इस समय नेकां, कांग्रेस, पीडीपी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के लगभग दो दर्जन नेता नजरबंद हैं।
जानकारी के अनुसार, पीएसए से छूटते ही शाह फैसल ने भारत सरकार तथा जम्मू कश्मीर प्रशासन के खिलाफ
सोशल मीडिया पर युद्ध छेड़ दिया। इसमें उन्होंने प्रशासन तथा केंद्र द्वारा लिए जा रहे कथित गलत फैसलों का विरोध करना आरंभ किया था। बताया जाता है कि उनकी हरकतों के कारण प्रशासन घबरा गया और उसने उन्हें फिर से नजरबंद कर दिया।
नौकरशाही छोड़ रियासत की सियासत में करीब डेढ़ साल पहले सक्रिय हुए डॉ. शाह फैसल ने पीडीपी और नेकां के
बागी नेताओं के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट नामक संगठन को बीते साल ही गठित किया था। उन्होंने अफजल गुरु और आतंकी बुरहान को शहीद का दर्जा देने वाले पूर्व निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद के संगठन अवामी इत्तेहाद पार्टी के साथ भी गठजोड़ किया था।
पांच अगस्त 2019 को जब केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किया था तो वह श्रीनगर से दिल्ली पहुंच गए थे। जब वे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को कथित तौर पर चुनौती देने जा रहे थे तो उन्हें इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद उन्हें वापस श्रीनगर लाया गया और एहतियातन हिरासत में लिया गया।
शाह फैसल ने अपनी हिरासत को अदालत में चुनौती भी दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने इस याचिका को वापस ले
लिया। बताया जा रहा है कि हिरासत के दौरान उन्होंने सशर्त रिहाई की पेशकश से इंकार कर दिया था। दो दिन
पहले प्रदेश प्रशासन ने उन्हें पीडीपी के पूर्व उपाध्यक्ष सरताज मदनी और पूर्व विधायक पीरजादा मंसूर के साथ ही
पीएसए के तहत रिहा कर दिया था।
अलबत्ता गत रोज उन्हें उनके घर में नजरबंद कर दिया गया है। हालांकि संबंधित अधिकारियों ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। बताया जा रहा है कि शाह फैसल की रिहाई के बाद उनसे उनके कुछ पुराने करीबियों ने आकर मुलाकात की। इस दौरान प्रदेश की सियासत से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होने की जानकारी मिलने व शाह फैसल द्वारा पुनर्गठन अधिनियम के मुद्दे पर एक जनसंपर्क अभियान को चलाए जाने की आशंका को देखते हुए उन्हें नजरबंद किया गया है।