पहले ई-वे बिल 1 फरवरी से लागू किया गया था, लेकिन उसी दिन इसका पोर्टल क्रैश हो जाने के कारण इसे टाल दिया गया था। अब नए सिरे से पोर्टल को तैयार किया गया है तथा उसकी क्षमता बढ़ाकर 50 लाख ई-वे बिल रोजाना की गई है। जीएसटी के तहत 50 हजार रुपए या इससे अधिक मूल्य के सामान की ढुलाई के लिए ई-वे बिल की जरूरत होती है।
जो उत्पाद जीएसटी में छूट प्राप्त या शून्य प्रतिशत के स्लैब में हैं उनकी कीमत मूल्य के आकलन में नहीं जोड़ी जाएगी। सड़क मार्ग से माल ढुलाई के लिए ई-वे बिल पहले जेनरेट करना पड़ेगा जबकि रेल, वायु या जलमार्ग से ढुलाई के लिए यात्रा शुरू होने के बाद भी बिल जेनरेट किया जा सकेगा। (वार्ता)