त्रासदी को तो मजाक मत बनाइए..!

शनिवार, 25 अप्रैल को नेपाल में आए भीषण भूकंप में हजारों लोग असमय काल के गाल के समा गए। संपत्ति के नुकसान का तो अभी आकलन भी नहीं किया जा सकता है। भारत में भी इस आपदा में 60 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। ऐसे समय में पीड़ितों को, उनके परिजनों को सांत्वना की जरूरत होती है। लेकिन,  शर्मनाक तरीके से सोशल मीडिया पर इस त्रासदी का ही मजाक बनाया जा रहा है। इससे सीधा-सीधा एक संदेश तो यही जा रहा है कि हमारी संदेवनाएं भी दम तोड़ चुकी हैं। 
 
इसमें कोई संदेह नहीं कि हर व्यक्ति नेपाल जाकर या बिहार जाकर मदद नहीं कर सकता, सहानुभूति प्रकट नहीं कर सकता, लेकिन दुखी लोगों के जख्मों पर नमक भी तो नहीं डाला जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर जिस तरह के संदेश प्रसारित हो रहे हैं, उन्हें पढ़कर कोई भी संवेदनशील व्यक्ति शर्म से पानी-पानी हो जाएगा। बेशर्मों से उम्मीद करना ही बेकार है। हालांकि यह भी कहना गलत होगा कि सभी लोग ऐसा कर रहे हैं, लोगों ने संवेदना व्यक्त करने वाले या फिर प्रार्थना करने वाले संदेश भी भेजे हैं। लेकिन, आपदा की इस घड़ी में नकारात्म संदेश निश्चित ही दुखी करने वाले हैं। 
 
इंसानियत को शर्मसार करने वाले इन संदेशों में कहा गया कि भूकंप आशुतोष के टीवी चैनल पर रोने से आया है। इस तरह के संदेश देने वालों में भाजपा के प्रवक्ता संवित पात्रा का नाम भी शामिल है। कई तो यह भी कह रहे हैं कि यह किसान की मौत का असर है। सोशल मीडिया पर इस तरह के संदेश भी देखे गए, जिनमें कहा गया कि भूकंप राहुल गांधी के केदारनाथ जाने से आया है। एक ट्‍वीट ऐसा भी था, जिसमें कहा गया है कि क्या धरती मां मोदी के भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ आवाज उठा रही है? निश्चित ही इस तरह की बातें पीड़ादायक हैं। कम से कम इस तरह के मुद्दों को तो राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। 
 
लेंस बेचने वाली कंपनी लेंसकार्ट ने तो हद ही कर दी जब उसने भूकंप जैसी भयावह आपदा को अपने 'व्यापार का अड्‍डा' बनाने की कोशिश की। कंपनी ने छूट के लिए ग्राहकों से एक मैसेज 50 लोगों को भेजकर 3000 रुपए का चश्मा 500 रुपए में हासिल करने की पेशकश की थी। इसमें अंग्रेजी का जुमला ‘शेक इट ऑफ लाइक द अर्थक्वेक’ (भूकंप मचा दो) का इस्तेमाल किया था। हालांकि कंपनी ने अपनी इस हरकत के लिए माफी मांग ली। संबित पात्रा ने भी बाद में माफी मांगकर मामले को हलका बनाने की कोशिश की, लेकिन सब जानते हैं कि जुबान से निकली बात कभी वापस नहीं आती। 
 
इस हादसे का एक दुखद पहलू और है कि लोग अफवाहें फैलाने का काम भी कर रहे हैं। सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर नासा के हवाले से ऐसे कई मैसेज आ रहे हैं जिनमें अगला भूकंप कब आएगा और इसका समय क्या होगा ये बताया जा रहा है। जबकि विशेषज्ञों का इस संबंध में मानना है कि नासा ने इस तरह की न तो कोई भविष्यवाणी की है और न ही भूकंप से संबंधित कोई भविष्यवाणी पहले की जा सकती है। लोग एक और अफवाह फैला रहे हैं कि भूकंप के कारण चांद उलटा हो गया है। 
 
यह सब वाकई शर्मनाक और दुखद है। क्या यह सही है कि भूकंप में प्रभावित हुए उन हजारों लोगों की खिल्ली उड़ाई जाए, जिन्होंने इस त्रासदी में अपने प्रियजनों को खोया है, या फिर जिनका सब कुछ तबाह हो गया है। लोगों को यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि सोशल मीडिया पर इस तरह की बातें कतई शेयर नहीं करें। 

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