मुंबई। महाराष्ट्र की तीन सरकारी बिजली कंपनियों के हजारों कर्मचारी बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में बुधवार को 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा महाराष्ट्र आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (मेसमा) लागू किए जाने के बीच यह कदम उठाया। इस हड़ताल से राज्य में बिजली संकट की आहट सुनाई दे रही है।
वहीं, सरकार ने संबंधित अधिकारियों को राज्य में बिजली की सामान्य आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है।
महाराष्ट्र राज्य विद्युत कर्मचारी संघ के महासचिव कृष्णा भोइर ने बताया कि आधी रात से शुरू हुई इस हड़ताल में तीनों कंपनियों के हजारों कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्यभर में शांतिपूर्ण ढंग से विरोध किया जा रहा है और प्रदर्शनकारी कर्मचारी अपने प्रतिष्ठानों के बाहर बने पंडालों में बैठे हैं।
भोइर ने बताया कि राज्य सरकार ने उन्हें बैठक के लिए बुलाया है और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दोपहर करीब एक बजे सह्याद्री गेस्ट हाउस में कर्मचारी संघ की कार्य समिति के सदस्यों से मुलाकात करेंगे।
महाराष्ट्र राज्य विद्युत विपणन कंपनी लिमिटेड (महावितरण), महाराष्ट्र राज्य विद्युत पारेषण कंपनी लिमिटेड (महापरेशन) और महाराष्ट्र राज्य विद्युत निर्माण कंपनी लिमिटेड (महानिर्मिती) राज्य सरकार के स्वामित्व वाली बिजली कंपनियां हैं।
बिजली कंपनियों की 31 यूनियन की एक कार्य समिति महाराष्ट्र राज्य कर्मचारी, अधिकारी और अभियान संघर्ष समिति ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले महीने आंदोलन शुरू किया था। अडाणी समूह की बिजली कंपनी को समानांतर वितरण लाइसेंस जारी नहीं करना उनकी प्रमुख मांग है।
अडाणी समूह की एक कंपनी ने पिछले साल नवंबर में मुंबई के कुछ और क्षेत्रों में अपने बिजली वितरण कारोबार का विस्तार करने के लिए लाइसेंस मांगा था। (भाषा)