'शत्रु संपत्ति विधेयक' राज्यसभा में पारित

शुक्रवार, 10 मार्च 2017 (23:43 IST)
नई दिल्ली। लंबे समय से लंबित शत्रु संपत्ति संशोधन विधेयक को राज्यसभा ने विपक्ष के  वाकआउट के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया।  लोकसभा ने इस विधेयक को गत वर्ष 9 मार्च को पारित किया था। इसे बाद में राज्यसभा में पेश किया गया था, लेकिन सदस्यों की मांग पर इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था। समिति ने विधेयक में कुछ संशोधन किए थे। राज्यसभा में लंबित रहने की वजह से सरकार को इसके लिए पांच बार अध्यादेश लाना पड़ा।
शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 में संशोधन के लिए लाए लिए इस विधेयक में चीन और पाकिस्तान के साथ  युद्ध के बाद वहां जाकर बसने वाले लोगों को भारत में उनकी संपत्ति पर किसी भी दावे से वंचित करने का प्रावधान  है। 
 
सदन में गैर सरकारी काम काज के दौरान एक निजी विधेयक पर चर्चा होने के बाद गृह राज्यमंत्री गंगाराम  हंसराज अहीर ने यह विधेयक पेश किया। इससे पहले कांग्रेस के सुब्बीरामी रेडडी ने इस विधेयक से संबंधित अध्यादेश  को निरस्त करने का सांविधिक संकल्प पेश करते हुए कहा कि शत्र संपत्ति का मुद्दा महत्वपूर्ण और विवादास्पद है और  सरकार इस संबंध में हडबडी कर रही है। उन्होंने अध्यादेश को निरस्त करने की मांग की।
 
कांग्रेस के जयराम रमेश तथा राजीव शुक्ला, मनोनीत सदस्य के टीएस तुलसी, अन्ना द्रमुक के नवनीत  कृष्णन, तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दू शेखर राय, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान और माकपा केटी रंगराजन ने  विधेयक पर आज चर्चा न कराने का अनुरोध किया। 
 
उनका कहना था कि आज सदन में सदस्यों की उपस्थिति बहुत कम है और विभिन्न दलों के प्रमुख नेता भी मौजूद नहीं हैं। उन्हें विधेयक पारित कराने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इस पर विस्तृत चर्चा की जानी चाहिए। उनका अनुरोध नहीं माने जाने पर सभी विपक्षी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए। इसके बाद सदन ने श्री रेडडी और हुसैन दलवई के सांविधिक संकल्प को खारिज करने के बाद विधेयक को प्रवर समिति की सिफारिश पर सरकार द्वारा लाए  गये संशोधनों के साथ ध्वनिमत से पारित कर दिया। (वार्ता)  

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