महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने मस्जिद प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह महिलाओं को सदियों पहले ले जा रहा है। कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने कहा कि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, यह कैसी 10वीं सदी की सोच है। हम लोकतांत्रिक देश हैं, वे ऐसा कैसे कर सकते हैं। वे महिलाओं को कैसे रोक सकते हैं।
एक अन्य महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना ने कहा, यह फरमान 100 साल पहले ले जाता है। यह न केवल प्रतिगामी है, बल्कि दिखाता है कि इन धार्मिक समूहों की लड़कियों को लेकर क्या सोच है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रशासन के नोटिस के अनुसार, जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखिला मना है।