न्यायालय ने दिल्ली सरकार को इस बारे में अधिसूचना जारी करने का निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि प्रारंभ में यह शुल्क ‘प्रयोग के आधार पर’ एक नवंबर, 2015 से चार महीने के लिए 29 फरवरी, 2016 तक लागू होगा।
न्यायालय ने इसी मसले पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण के सात अक्टूबर को आदेश को निष्प्रभावी बताते हुये स्पष्ट किया, यह आदेश किसी भी अन्य अधिकरण द्वारा इससे इतर दिए गए किसी भी आदेश पर भी लागू होगा। इस व्यवस्था की समीक्षा और इस पर आगे विचार के लिए न्यायालय ने इस मामले को फरवरी के तीसरे सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया है।
प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा, न्याय मित्र हरीश साल्वे, सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार और दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने संयुक्त रूप से सुझाव दिया है कि दिल्ली सरकार को पर्यावरण हर्जाना शुल्क लगाना चाहिए।