गंगा में खनन से व्यथित थे : वर्ष 2010 में स्वामी सानंद के अनशन के बाद गंगा पर बांध से लेकर खनन तक के प्रबंधन के लिए सात IIT के वरिष्ठ प्रोफेसरों की एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने वर्ष 2014 में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी थी, लेकिन उसका क्रियान्वयन तो दूर उसे सार्वजनिक भी नहीं किया गया।
स्वामी सानंद का मानना था कि उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं के कारण नदियों की अविरलता प्रभावित हो रही है। गंगा में खनन व वनों के कटान से उनका मन व्यथित था। उन्होंने 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे खुले पत्र में चेतावनी भी दी थी कि साढ़े तीन महीने में कोई सूचना या जवाब न मिलने पर वह 22 जून को गंगा अवतरण दिवस पर उपवास शुरू कर रहे हैं।
कौन थे स्वामी सानंद : पर्यावरण विज्ञानी प्रो. जीडी अग्रवाल IIT कानपुर से सेवानिवृत प्रोफेसर, राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय के पूर्व सलाहकार, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रथम सचिव, चित्रकूट स्थित ग्रामोदय विश्वविद्यालय में अध्यापन और पानी-पर्यावरण इंजीनियरिंग के नामी सलाहकार के रूप विख्यात रहे। संन्यास ग्रहण करने के पश्चात स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद सरस्वती के रूप में पहचाने जाने लगे।