नई दिल्ली। ईपीएफओ (EPFO) के दायरे में आने वाले कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का न्यूनतम पेंशन 7,500 रुपए मासिक किए जाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय संघर्ष समिति (NAC) ने पूरे देश में आंदोलन करने का निर्णय किया है। NAC ने बुधवार को कहा कि संगठन में शामिल पेंशनभोगी दिल्ली में अगले माह रास्ता रोको अभियान चलाएंगे।
एनएसी के राष्ट्रीय संयोजक और अध्यक्ष अशोक राउत ने कहा कि 30-30 साल काम करने और ईपीएस आधारित पेंशन मद में निरंतर योगदान करने के बाद भी कर्मचारियों को मासिक पेंशन के रूप में अधिकतम 2,500 रुपए ही मिल रहे हैं। इससे कर्मचारियों और उनके परिजनों का गुजर-बसर करना कठिन है।
एनएससी कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस), 95 के दायरे में आने वाले कामगारों के लिए मासिक मूल पेंशन के रूप में 7,500 रुपए के साथ इस पर महंगाई भत्ता देने, कर्मचारियों के पति / पत्नी को मुफ्त चिकित्सा सुविधा देने समेत अन्य मांग कर रहे हैं।
इसके अलावा संगठन ने पेंशन के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने तथा ईपीएस 95 के दायरे में नहीं आने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी 5,000 रुपए मासिक पेंशन देने की मांग की है।
राउत ने कहा कि हम लंबे समय से सरकार से कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस), 95 के दायरे में आने वाले कर्मचारियों की पेंशन बढ़ाकर 7,500 रुपए मासिक किए जाने तथा उस पर महंगाई भत्ता देने की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अपनी मांगों के समर्थन में पेंशनभोगियों ने दिल्ली में 7 दिसंबर से रास्ता रोको आंदोलन शुरू करने का निर्णय किया है। इसके अलावा पेंशनभोगी गांव से लेकर राज्य स्तर पर आंदोलन कर रहे हैं।
संगठन के बयान के अनुसार पेंशनभोगी 1 नवंबर से 10 नवंबर तक गांव से लेकर राज्य स्तर पर आंदोलन कर रहे हैं। 4 से 6 दिसंबर तक वे दिल्ली में आंदोलन करेंगे। मांगें नहीं मांगने पर वे 7 दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रास्ता रोको आंदोलन शुरू करेंगे। समिति का दावा है कि करीब 65 लाख ईपीएस पेंशनभोगी उनके साथ जुड़े हैं।
उल्लेखनीय है कि ईपीएस, 95 के तहत आने वाले कर्मचारियों को उनके मूल वेतन का 12 प्रतिशत हिस्सा भविष्य निधि में जाता है, वहीं नियोक्ता के 12 प्रतिशत हिस्से में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है। इसके अलावा पेंशन कोष में सरकार भी 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है।
एक सवाल के जवाब में राउत ने दावा किया कि कर्मचारियों का पेंशन बढ़ाने से सरकार पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा और उन्होंने इस बारे में श्रम मंत्री को अपनी पूरी रिपोर्ट सौंपी है। (भाषा)